Page 108 - lokhastakshar
P. 108

े
               जल क बीच पड़" वत मान क7 उन ?वराट िशलाओं  और  उसक7  बहुत  सार"  परत-  से  प8रिचत  कोई
                              े
                                   े
               क7 तरह 9जनस गुजर ?बना, 9जनको बसाए ?बना  ले9खका  ह"  इतनी  सुघड़ता  से  इितहास  के   सुधार-
               यह दुिनया बस नह"ं पाती ह। यह आधुिनकता हर  क7  कलई  खोल  सकती  है।  ऐसी  सुघड़-}?yसंप2न
                                         ै
                  ं
                       े
                                                     े
                                  े
                                             ै
               परपरा  क  साथ  जैस  गुंथी  हुई  ह।  वह  थ8रय-  क7  कविय<ी  ह"  ‘ग9णका  गली’  जैसी  क?वता  िलख
                                           े
                                ु
                                                    Q
                         े
               बातचीत क बीच क8रयर भी ल सकती ह, मोबाइल  सकती है और साहसपूव क कह सकती है- ‘स यता
               फोन भी सुन सकती ह और लाख- अनाम पाठक-  से भी *चीन / ये न#दय- का तट थीं ?व
तीण - /
                                    Q
                      5
                                       ै
               क7 ट"प भी पढ़ सकती ह। अचानक एहसास होता  चोर, नपुंसक, मूख , सं2यासी, लंपट, सामंत / इनके
                 ै
                                     Q
                               े
                                                            ै
               ह #क यह जो थ8रयां ह, यह जो उनका संवाद ह,  तट आते डूबती नौकाओं पर / और ये उ2ह5 उबार
                                       े
                          े
               इितहास  क  स#दय-  लंब  रा
त-  पर  यह  जो  लेतीं।‘  ऐसा नह"ं #क अनािमका इस ग9णका गली
               चहलकदमी ह वह पहल कभी हो चुक7 ह, अब उस  का कोई आभामं#डत और  वायवीय भा;य रच रह"
                                                    ै
                           ै
                                                             े
                                    े
                       े
                           े
                                                       ै
               नए  िसर  स  9जया  और  रचा  जा  रहा  ह-  यह  ह-,  वे  ?बUकु ल  ठोस  ढंग  से  इस  बंद  गली  क7
               इितहास को, दुख को, संवाद को Gय- का Fय- रख  ?वडंबनाओं को पहचानती हQ और अपने अधेड़ होते
                                     े
                                                        ै
                 े
                                                             े
                                      े
                  े
               दन  क7,  मंिचत  कर  दन  क7  यु?^  नह"ं  ह,  उस  समय  से  उनक7  थक7  हुई  मुठभेड़  को  भी  जानती
                    े
                                       ु
               अपन  भीतर  उतार  कर  कछ  नया  बनाकर  *
तुत  हQ।  यह  क?वता  अपनी  अगली  पं?^य-  म5  ह"
                                              े
                    े
               करन क7 यातना भी ह। इसी रा
त ‘ितलोdमा थर"’  ?बUकु ल  बदल  जाती  है-  ‘अब  इनके   *ेमी  अधेड़
                                   ै
                                                           े
                                             ै
                            ै
               िमल सकती ह जो याद करती ह- “’तु6हारा सुधार  ?व
था?पत  मजूर,  “इनसे  तो  पैसे  भी  नह"ं  मांगते
                                                    े
                              े
                                                             े
               नह"ं / {यथ  मQन ऊजा  ज़ाया क7’,/  खास संताप स  बनता  ऐ  हुज़ूर!  पर  हमार"  ब9Sचयां  पढ़  रह"  हQ
                    े
               उसन  कहा/  और  चला  गया!/  जब  वह  चला  ह"  ?व
तृत  9 ितज  पर  ककहरे-  “  उ2ह-ने  उमग  कर
               गया/  राममोहन  राय,  ईZरचंL,  काव4,  राणाड,  कहा  और  खांसने  लगीं।  लेट"  हुई  छत  िनहारती
                                                            े
                            े
                         ु
               Gयोितबा फल,/ पं#डत रमाबाई, सा?व<ी बाई-/ सब  अप«ंश  का  ?वरह  गीत  द"खती  हQ  ये  ग9णकाएं
                                         े
                           े
                    े
               मुझस  िमलन  आए!/  उ2ह-न  मेरा  माथा  सहलाया/  पुराने शहर के  लालटेन बाज़ार म5 लालटेन तो नह"ं
               और  बोलीं  धीर  स-/  ‘इितहास  क  सुधार  आंदोलन/  जलती,  पर  ये  जलती  हQ  लालटेन  वाली  धुंधली
                                े
                             े
                                             े
                                        े
               ~ी क7 दशा को िनवे#दत थ, /  और सुधरना #कस  #टमक से।‘
                                                             े
                               े
               था, यह कौन कह।‘”
                                                                               Q
                                                                                     5
                                                                यह  अनािमका  ह।  उ2ह  उस  बुझती  हुई  कमज़ोर
                                                         ै
                        े
               ,या  इसक  बाद  भी  यह  संशय  रह  जाता  ह  #क  रोशनी का इतना साफ पता मालूम है #क जैसे यहां
                                                             5
               अनािमका इितहास क7 #कन ताकत- क ?वरोध म  तक  पहुंचने  के   िलए  उ2ह5  कोई  *य†  नह"ं  करना
                                                   े
                                              े
               ख़ड"  ह  और  #कन  हािशए  पर  पड़  मूUय-  का  घर  पड़ता।  वे  सव 
थानीय  से  िनतांत  अित
थानीय  हो
                      Q
                                                    5
                    े
                                              ं
                              Q
               बसान िनकली ह? बहुत गहर" परपरा म अनु
युत  उठती  हQ,  साव कािलक  से  ?बÏकु ल  कालबO।  वे
               मई – जुलाई                             108                                                                   लोक ह
ता र
   103   104   105   106   107   108   109   110   111   112   113