Page 36 - E-Book 22.09.2020
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               उनको  सी भी व तु क कमी कभी महसूस नह  होती थी। वषा  का जल कसे संचय करना। जल संर ण
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                क

                  था  ाचीन समय से है। इस बात का वणन वेद शा   म  भी है।

                       यजुव द म कहा गया है:-
                                                                  ं
                       “मायो मौव धीिह ॐ सीघा  ो: राज तो व ण नो मुच”।                        यजुव द- 6/22
               अथा त हे राजन, आप अपने  थान  मे जल और वन पितय  को हािन ना प ँचाओ ऐसा उ म करो िजससे
               हम सभी को जल एवं वन पितयाँ स  से  ा होती रह ।



                       पुरातन काल मे हम शा   क अलावा भी संसाधन  को देवता  से जोड़ते थे। जैसे-   पीपल को
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                                                                                               क
               कहा जाता था   देवता  का वास होता है और यही पीपल सबसे  यादा आ सीजन देता है।हमारी न य
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                                                                                                      द
                                                                                                         े
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               क नाम भी इसी  कार से ह  गंगा, गोदावरी, क णा, कावेरी जो अलग ही पौरािणक मह व रखते ह । इसक
                                                                                            क
                                                                                                  म
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               अलावा हमार आसपास जो तालाब, कआं होता है उसको भी मह व  या जाता है जैसे   धा क काय
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               होता है तो िवसज न और दीपदान  या जाता है। सूय  भगवान को सुबह उठकर अध देते थे और  ाथ ना

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               करते थे  य   सूय   जो 2 %  रण  पृ वी पर आती ह  वही हम सबका संचालन करती ह । गाय को माँ
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               समान मानते थे  य   उसक दूध से ही हमारा पालन पोषण होता था। शारी क कमी नह  रहती थी और
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                                                                                  र
               रोग-दोष का नाश होता था। दि ण  शा म  नीम का वृ  होता था िजससे घर म शु  हवा आये। आंगन म
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               तुलसी का वृ  लगाते थे और भी दैिनक और  ाकितक िनयम  का पालन करते थे। वन को देवता मानते थे
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                                                                                              ृ
               और हरा पेड़ नह  काटते थे। मनु य लालच वश अपने उ य से भटक गया तभी से वह  कित से दूर हो
                                                                 े



               गया य िप हम अपने आदश और  ामीण  े  से जुड़े रहना चािहए और वेद  म वणन पुरानी बात  का

                ान अ जत करना चािहए।

                                                                                                 े
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                       इ ही वेद शा   क मह व को दशाते  ए राजा  ने उनका अनुपालन  या और हमार पूवज  ने

                                                                                    क

                                                                                क
               उसी का अनुसरण  या। राजा  ने नदी, तालाब और पोखर बनवाये  य   पुराने समय म वषा  जल ही

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               अमू य  ोत होता था। लोग उसी  थान पर अपना िनवास और  यासत बनाते थे, जहाँ जल क कभी कमी

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               न हो और किष यो य भूिम हो। पुरातन काल म हम अनेक  कार क खेती नह  करते थे। वही करते थे जो

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                  कवल   ाकितक  चीज   पर  िनभ र  थी।  उ पादन  अिधक  नह   था  पर  ज रत  पूण  थी  ।  यू  ह   मानव
               स यता क शु आत से आधुिनक दुिनया तक आ क िवकास क िलए अपने  ाकितक संसाधन  का भर पूर
                                                         थ

                                                                     े
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               दोहन  या है। किष क उ  ाि त अविध म मानव  थानांतरण किष पर िनभर थे, जो आज भी कछ  थान
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                                                                      ृ




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               पर  चिलत है। भोजन आ  पकाने क िलये वन और जंगल क लकड़ी का उपयोग करते थे। जंगल म अनेक
                                                   े
                कार क पशु प ी रहते थे। जो मुन य क िलए भोजन का काम भी करते थे। अिधक ज रत और लालची
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                वृि  ने मनु य को िवनाश क गत म ढ़कल  या। वह अपनी ज रत  को तो पहले ही पूरा कर रहा था पर

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                       ृ
               उसने  कित को एक उ म क  प म उपयोग करने लगा और यह बात महा मा गांधी ने भी कही है-


               “दुिनयां म हमारी ज रत पूरी करने क िलए  या  संसाधन ह  पर हर  सी क लालसा पूरी नह  कर
                                                 े

                                                                               क
               सकते”।                                                                                                        “महा मा गांधी”

                ामीण  का शहर क तरफ  झान:

                    समय क बदलती  ई त वीर ने यूं  व प िलया   एक किष  धान देश का अ दाता भी मजदूरी
                                                                       ृ


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               करने पर िववश हो गया। मन य   दुग ित का कता वह खुद ही है। समय क साथ मनु य ने अपनी जीवन

                           र
               शैली म भी प वत न लाया जो िन   कार से है:
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