Page 32 - E-Book 22.09.2020
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संवर जाती है
धूप जब बफ सी िपघल जाती है।
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मजदूर क पसीने म ढ़ल जाती है।।
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ठड जब हद से गुजर जाती है।
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झोपिडय म जा कर ठर जाती है।।
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बा श जब भी गु से म आती है।
कई गांव और क ब म ठहर जाती है।।
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मौसम क मार झेलने म मािहर ।
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तु हारी वजह से ितजो यां भर जाती है।।
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ये कदरत का कानून भी कमाल है।
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व क साथ जदगी संवर जाती है।।
शहीद जवान
मातृभूिम क ममता म ।
वो जीवन वार आया है।।
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ितरगे से िलपट करक।
वो मेरा यार आया है।।
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च नीला ितरगा।
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तीन रग से सुशोिभत है।।
ं
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पाचवां र से रग क।
वो मां का लाल आया है।।
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ं
ितरगे से िलपट करक।
वो मेरा यार आया है।।
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