Page 5 - E-Book 22.09.2020
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ह
                                               दी पखवाड़ा
                                                             डॉ. स या



                       भाषा  अिभ ि   का  एक  सश   मा यम  है   फर  चाहे  वह  संचार  मा यम   से  जुड़ा  काय  हो,

                                                                        े
               िव ालय क श ा-दी ा हो या सरकारी काम-काज हो। भाषा क बगैर हम कछ भी अिभ   नह  कर
                                                                                   ु

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               सकते ह । भारत देश िविभ  कार क सं कित, कला  एवं भाषा  वाला देश है। हम सभी जानते ह
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                                                                                                        क
                                                                         े
                                                                                                     े
               भाषा ही एक मा  ऐसा मा यम है िजसने हम सभी को एक दूसर से जोड़कर रखा है। भाषा  क इसी

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                                               े


                ृंखला म आज हम एक ऐसी भाषा क बार म चचा  करगे जो िनःसंदेह अपनी स यता, सहजता और सुगमता
                 े
                                                        ं
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               क साथ-साथ वै ािनक मह ा को दशाती है एव जानी जाती है। यह भाषा कछ और नह  “िह दी” है। यह

                                                                           े
                                                                                         े

               वही िह दी है जो गांधी जी क संघष  क याद  लाती है; िजसम  उनक अथक  यास क बाद भी िह दी को
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                                                       द
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                                                                                                     े
               “रा भाषा”  का  स मान  नह   िमल  पाया।  यह  वही  िह दी  है  िजसक   चार- सार  म  हमार  देश  क  कई

               रचनाकार  जैसे - महादेवी वमा, जयशंकर  साद, सूय कांत ि पाठी “िनराला” और सुिम ान दन पंत ने

                                                                            े

               मह वपूण   थान  या। रचनाकार  क इस पंि  म हम  ‘खड़ी बोली’ क आिव कारक  ी अमीर खुसरो को
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               भी नह  भूलना चािहए। िह दी भाषा क भ ता को हम गु देव रवी   नाथ टगोर क सु दर कथन  रा
                                                                                                       ा
                                                                                         े
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                                                               द
               समझ सकते है। उ ह ने कहा था   “भारतीय भाषाएं न यां है और िह दी महानदी”।
                                           क

                       तो आइय, इस लेख क मा यम से हम िह दी भाषा क बार म कछ बात  को साझा कर। लेख क
                                                                     े
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               शीषक “िह दी पखवाड़ा” म हम पहले “पखवाड़ा” श द को जानने, समझने एवं उसक  योग म लाने क


                                                                                         े

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               आव यकता को समझगे। सामा य  वहार म माह क 15  न  क अ तराल को एक पखवाड़ा कहा जाता है।


                                                                        े
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               अब आइये थोड़ा और जानने क कोिशश करते ह ;  कािशत त य  क आधार पर यह  ात होता है   भारत
                        े
               सरकार क सभी काया लय , उप म , उ म , सं था  म “िह दी पखवाड़ा” हर  वष 1 िसत बर से 14


               िसत बर अथवा 14 िसत बर से 28 िसत बर तक मनाया जाता है। 14 िसत बर 1949 को भारत क

               संिवधान सभा ने एक मत से यह िनणय िलया   िह दी ही भारत क राजभाषा’ होगी। यहां यह भी
                                                          क


                                                                               ‘
               जानना आव यक है   26 जनवरी 1950 को लागू भारतीय संिवधान क अन छद 343 म यह  ावधान
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                                                                                      े
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                         क

               रखा गया   संघ क राजभाषा “िह दी” व िलिप “देवनागरी” होगी।

                       इस िनण य को मह व देने क िलए और िह दी क उपयोग को  चिलत करने क िलए साल 1953 क
                                                               े
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               उपरा त हर साल 14 िसत बर को “िह दी  वस” मनाया जाता है। एक  कािशत लेख क अनुसार वष



               2001  क भारतीय  जनगणना  म  भारत  म  42  करोड़  20  लाख  लोग   ने  िह दी  को  अपनी  मूल  भाषा


               बताया। भारत म  िह दी िविभ भारतीय रा य  क 14 अिधकािधक भाषा  और  े  क बोिलय  का


                                                                                            े

                                                                                      र

               उपयोग करने वाले लगभग 1 अरब लोग  म से अिधकांश क दूसरी भाषा है। एक  पोट क अनुसार िह दी
               िव  म तीसरी सबसे  यादा बोली जाने वाली भाषा बन गयी है। अतः य  हम िह दी बोलने म सकचाते
                                                                                                      ु

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               या िहच चाते ह  तो हम  वयं आगे बढ़कर पहल करनी होगी, िजससे   िह दी भाषा को अिधक से अिधक
                       क

                                                                           क
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                ो साहन िमल सक और वह और अिधक फले-फले।

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