Page 7 - E-Book 22.09.2020
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                       हमारा एक छोटा कदम ही िह दी भाषा को और  ापक  प से फलाने का काम करगा। यह कहते
                                                                                              े
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                ए हष  होता है   आज ब त से काया लय  म  ‘‘  पणी’’ या ‘‘ ा प’’ को िह दी म   तुत  या जाने लगा
                                                                                             क

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               है।  अगर  हम  कोिशश  कर  तो  क न  तकनीक अं ेजी  श द   को  उनक  मूल   व प  म  रखते   ए  िसफ
               देवनागरी िलिप म िलख सकते है। ता पय यह है   िह दी क  ित  यादा से  यादा लोग  को  ो सािहत
                                                                    े
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                या जाए।
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                       एक आकड़े क अनुसार, देश म  इटरनेट पर करीब 20  ितशत लोग िह दी साम ी खोजते है। ले न
                                                                                                       क
                                                                                              क

                 ं
               इटरनेट पर इस भाषा म अ छी साम ी का काफ अभाव है, इसिलए सरकार को चािहए   वह अपनी

               संसाधन  और िनजी  यास  से सभी िवषय  क ह दी म साम ी तैयार करवाकर इटरनेट पर डलवाएं। यह

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                                                                                      ं

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               काम धीर-धीर करने से बात बनेगी। सरकार को इसक िलए यु   तर पर  यास करना होगा। ऐसा करने से
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                                                                े

                                                                    क
               ही िह दी पर लगने वाले उन लांछन  को दूर  या जा सकगा   यह  ान और िव ान क भाषा नह  है।

                       अतः अब  वयं का आंकलन करने का समय आ चुका है। यह कहना गलत नह  होगा   सरकार क
                                                                                                         े
                                                                                               क
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               अथक  यास क फल व प अभी भी िह दी को अपना वच  व  थािपत करने क िलए संघष  करना पड़ रहा


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               है। अतः एक बात तो ब त  प है    सी भी काय का अनुपालन या तो  वयं क इ छाशि  से होता है


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               या  फर ‘‘डर’’ क कारण ! यहां ‘‘डर’’ श द का ता पय िनयामक  ािधकरण से है। हमारा  वयं का कत
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               होना चािहए   हम  वयं मूल काय िह दी म करते  ए अिधका य /कम चा य  से राजभाषा अिधिनयम
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               का अनुपालन सुिनि त कर! तो आइय! हम संक प ल    यादा से  यादा िह दी भाषा का  योग करगे।
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               हम अपने बोलचाल म,  वहार म  यथास भव ‘‘िह दी भाषा’’ का  योग करगे। हर माता-िपता का भी यह

               कत   ह ना चािहए   वे अपने ब   म  ऐसे सं कार का रोपण कर जो ‘िह दी जिनत’ हो।

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                                                        ‘‘जय िह द’’

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