Page 11 - E-Book 22.09.2020
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सव संतु िनरामयः क उदा भावना जन-जन म जागृत ह , वातावरण सुखमय, आनं त बन सक,
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सां कितक सद् सािह य और नैितक भावना म वृि हो एवं धरा पर ही वग क दशन होते रह । इसक
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िलए ज री है समवेत वर म संपूण जन संक प ल पया वरण संर ण करते ए वातावरण म संतुलन
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बनाए रख गे एवं वन को कभी न नह करगे, सर-स ता को मैला नह होने द गे, गंदे पानी क नािलय ,
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गटर कल कारखान क धु एवं अपिश पदाथ क नकासी का उिचत बंधन कराएंग, ऐसा करने से ही
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समाजिहत क साथ साथ रा हत भी होगा, जन जागृित का वातावरण िन त होगा, िजससे मानवीय
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जीवन मू य क र ा हो सकगी। हमारी आ थाएँ अभी धूिमल नह ई है और हमारा यह िव ास अटल
है।
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