Page 16 - E-Book 22.09.2020
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                      ृ
                  ‘ ाकितक संसाधन सीमालंघन  वस’ (अथ  ओवर शूट डे)-पृ वी पर कज

                                                                                        म
                                                                                      ह
                                                                                         द
                                                                                     अ
                                                                                  म
                                                                                ल
                                                                                  ी
                                                                              क




                िपछले महीने गुजरा 22 अग त वह  न था, जब दुिनया ने पृ वी क  ाकितक संसाधन  क
                                                     द
                                                                                   े
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                                                                                                        े


                       दोहन क 2020 क समय-सीमा पार कर ली, और अब उधार पर जी रही है।


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                       दुिनया क लगभग हर देश क सरकार कर  आ  से होने वाले अपने राज व से अिधक खच करती

                                                               द
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               है। अपन अित   खच  क िलए, भारत क सरकार   रा िलए गए ऋण, भारत क हर नाग क पर इस
                            र
                                                                                       े
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                                                               ा
               समय औसतन 1400 डालर से भी अिधक बैठते ह । एक डालर इस समय लगभग 75  पये क बराबर है।
                                                                                                े
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                                                                                 ृ

               पर,  या आपने सुना है   पैस  क ही तरह दुिनया का हर देश अपने  ाकितक संसाधन  को भी अपनी
                                                                                          ृ
               औकात से अिधक  खच कर रहा है। हर वष  कई-कई महीन  क बराबर पृ वी क  ाकितक संसाधन  का
                                                                                     े
                                                                      े

               अि म दोहन होता है।

                                                                 क
                                                                         क


                       इस उधारी क भरपाई अंतत: कभी न कभी और  सी न  सी  प म हम  करनी पड़ेगी। इस वष
                                                                   ृ
                                                                                  े
                                      द
               शिनवार, 22 अग त वह  न था, जब दुिनया पृ वी क  ाकितक संसाधन  क दोहन क वह समय- सीमा
                                                              े


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               लांघ गई, िजसक बाद अब 2020 क बाक  न  और महीन  म उधारी पर जीने का समय शु  हो गया है।
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               दूसर श द  म, इस  न तक हम पृ वी- वािसय  ने अपने जीने- रहने क िलए  कित से िमलने वाले वे सार  े
                                                            द
                                                                                    े
               आव यक संसाधन सवा चार महीने पहले ही खपा  ए, िज ह  पुन: पैदा करने क िलए पृ वी को पूरा एक
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                                                                                  थ
                                                            े
               वष  चािहए। गनीमत यह रही   कोरोना वायरस क िव  ापी  कोप ने आ क- औ ोिगक गितिविधय
                                                                   ृ
               को िजस तरह और िजतन  लंब समय तक ठप रखा, उसक कपा से उधारी पर जीने का यह ऋणकाल, इस

                                         े

               वष  पूवानुमान से करीब साढ़े तीन महीने देर से शु   आ है।

                       कोरोना का  कोप य  नह  होता, तो मूल गणना क अनुसार अं ेजी म  ‘अथ  ओवरशूट डे’ या
                                                                     े
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               ‘इकलािजकल डेट डे’ कहलाने वाला यह  न, िजसे हम िह दी म ‘ ाकितक संसाधन सीमालंघन  वस’ कह
                                                                                                 द
                                                                    द
               सकते ह , तीन मई को पड़ता। िपछले वष , यानी 2019 म यह  न 29 जुलाई को पड़ा था।


                                                       द
                       ‘अथ  ओवरशूट डे’  सी वष का वह  न, िजस  न मानवजाित पृ वी पर क उन सभी  ाकितक
                                                                                         े
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               संसाधन  को खपा चुक होगी, िज ह  हमारी पृ वी पूर एक साल का समय लेकर ही पुन: पैदा कर पाएगी।
                                              े
               यह अवधारणा मूल  प से ि टन क ‘ यू इकनािमक फाउ डेशन’ कहलाने वाले एक ‘ क टक’ क एि  यू
                                                                                                   े

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               िसम स क देन है। इस अवधारण क िनयम  क आधार पर ‘ लोबल फट   नेटवक’ नाम क एक सं था हर
                                                                             ट
                                                                          ु

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                                      ृ

               वष  िव  भर म उन  ाकितक संसाधन  व सेवा  क मांग और पू  का आकलन करती है, जो मनु य
                                          क

                                                                                े
               जाित को चािहए। उसने पाया   इस बीच करीब सात महीन  म ही वे सार पुन  पादी संसाधन खप जाते
               ह  और वह सारी काब न-डाइआ साइड पैदा हो जाती है, िजसे वा तव म  वष  क अंत म कभी होना चािहए।

                                                                                  े

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               िवगत  25  वष   से  यही  देखने  म  आ  रहा  है     हमारी  ज रत   म  लगने  वाले  िव   क  पुन  पादी
                                                           15
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