Page 17 - E-Book 22.09.2020
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साधन ोत, बढ़ती ई गित क साथ, वष क अंत से कह पहले ही खप जा रहे ह । उदाहरण क िलए, 1993
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म खपत क सीमा को पार करने वाला यह सीमालंघन वस 21 अ टबर था, जो 2003 म 22 िसतंबर
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और 2019 को 29 जुलाई हो गया। इस न क बाद साल बीतने तक क बाक क सार महीने उधार पर
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जीने क समान थे।
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मांग और पू क प म धरती से िमलने वाली खाने-पीने और रहने-सहने क िलए आव यक
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व तु क अलावा वन , िविभ आव यकता क िलए जमीन जल ोत , समु ी संसाधन , खिनज
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पदाथ , कड़े- कचर और पया वरण दूषक गैस क भाव को भी इस गणना म शािमल या जाता है। इस
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सबक आधार पर यह िहसाब लगाया जाता है उदाहरण क िलए, 2020 क पूर वष म, िव जनसं या
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क जो अनुमािनत मांग है, उसे य इसी वष पूरा करना हो, तो हमार पास हमारी पृ वी जैसी ही तनी
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और जगह, या तनी और पृि वयां होनी चािहए। पाया गाया 2020 क सारी ज रत 2020 म ही
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पूरा करने क िलए हम अपनी इस समय क पृ वी से 60 ितशत बड़ी कोई दूसरी पृ वी िमलनी चािहए।
यही नही, य हमारी मांगे और िव क जनसं या आज क तरह ही बढ़ती रह , तो 2050 आने तक
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हमारी पृ वी पर जनसं या 10 अरब हो जाएगी, और तब हम अपनी इस समय क पृ वी जैसी कल तीन
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पृि वय क ज रत पड़ेगी।
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जम नी क पयावरणवादी सं था ‘जम न वाच’ ने िहसाब लगाया है िव क दूसर देश भी य
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जम न क तरह रहने और अपनी अथ व था चलाने लगे, तो हम अभी ही तीन पृि वयां, और अमे का क
तरह क िलए पांच पृि वयां चािहए।
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‘अथ ओवरशूट डे’ वा तव म सरकार और जनसाधारण को जगाने एवं चेताने का ही एक अलग
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अिभयान है। उ य है, सबक गले उतारना हमारी पृ वी इस समय क हमार खच ले जीवन-ढर का और
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हमारी अदूरदश अथ व था का बढ़ता आ बोझ लंबे समय तक संभाल नह सकती। हम अपने भिव य
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क क त पर जी रहे ह । कोरोना वायरस का कोप चाहे िजतना क दायक हो, उसने िव तर पर कम से
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कम यह तो खाया ही है य हम अपने वत मान म कछ कम खपत से अपना काम चला सक, संसाधन
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क अभी से बचत कर सक, तो अपने भिव य को उसी अनुपात म बढ़ाकर ल बा और बेहतर बना सकते ह ।
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