Page 18 - E-Book 22.09.2020
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पया वरणीय आव यकता

                                                                           ु
                                                                                       डॉ. सुशील कमार



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                        सी भी देश का िवकास उसक उ ोग-ध ध  क उपल धता एवं उनक  गित पर िनभ र करता है।


                       क
                                                                                            ं
               बढ़ते उ ोग-ध ध  क साथ देश का  वावल बन एवं आ मिनभ रता दोन  ही सतत एवं िनरतर  गित करते
                                 े
               ह ।    तु, एक नकारा मक और अनैि छक कारक भी है जो कह  न कह  इन फलते फलते उ ोग  क साथ-
                                                                                                    े
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                                                                                        ू
                                                                                               ृ
                                                                                    े
                                                                             े
               साथ बढ़ता है और वो है “ दूषण”।   दूषण पया वरण म दूषक पदाथ  क  वेश क कारण  ाकितक संतुलन



                                                                                                    क
                                                                              र
               म पैदा होने वाल  दोष को कहते ह ।   दूषण को हम िविभ  कार से प भािषत कर सकते ह ।   सी ने
                                                                                  क
               प भािषत   या है-“पयावरण क जैिवक एवं अजैिवक घटक  म होने वाले  सी भी  कार क प वत न


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                                                                                                    र
                                                                                                 े
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               को   दूषण  कहते  ह ”।    दूसर  सरल  श द   म  “ दूषण  का  अथ   है  हवा,  पानी,  िम ी,  वातावरण  आ
                                         े
                                                                                                        द


               अवांि छत     का उपि थत होना अथवा उनक अिधकता से दूिषत होना है िजसका सजीव , चाहे वह
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                                                                     द
               वन पित हो या जीव, पर  ितकल  भाव पड़ता है।  तथा य  सही समय पर इसे रोका न गया तो यह

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               समय क साथ पा ि थितक तं  पर   यािशत एवं अ  यािशत ढंग से  भाव डालता है और उसे नुकसान
                      े
               प ंचाता है।


               पया वरण, वन एवं जलवायु प वत न मं ालय का संि  वण न:
                                         र
                                                                 े
                       इन पयावरणीय खतर  को भारत वष म  आजादी क समय से ही पहचान िलया गया था। भारत वष


                                                                                               े
               म पयावरण को बचाने क मुिहम  थम मिहला  धानमं ी  वग य  ीमती इ रा गाँधी जी क काय काल म
                                                                                 द
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                                                                       क
                                                                                            ी
               वष  1947 से ही शु  हो गयी थी।  यहाँ ये कहना उिचत होगा   सन् 1972 म अंतरा य  तर पर इस
                                                                          क
                                                                                                ं

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               सम या क िनदान क िलए िव  क अनेक  देश  ने िमलकर िवचार  या िजसम भारत भी कधे से क धा
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               िमलकर खड़ा था एवं अपनी पूण संसाधन  क सम वय क साथ  इसम  सि मिलत था। इसको और ग भीरता
                                                     े
                                        ा
                                                                                                         े
                                                                                     े
                                                                           क
                                                                 े
               से लेकर एवं राजनीितक मु  बनाकर  ी व लभ भाई पटल जी, जो   भारत क पहले उप- धानमं ी क
                प म काय   ये, क नेतृ व म नीितगत तरीक से आगे ले जाया गया तथा प णाम व प सन् 1980 म
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                           क

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                                                                                       ि

               इसक िलए “पयावरण िवभाग” क  थापना भारत सरकार क िव ान एवं  ौ ोिगक वभाग म क गयी।

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                       भारत सरकार  रा सव  थम जल  दूषण (रोकथाम एव िनय ंण) अिधिनयम, 1974 क  थापना
                                     ा
                                                                      ं


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               क गयी। इसक उपरा त वष  1981 म, इसी  म म, वायु  दूषण (रोकथाम एवं िनय ंण) अिधिनयम क
                                                                                               क
                थापना क गयी। इस दोनो अिधिनयम   क तहत सम त उ ोग  क िलए  शा-िनद श तय  ये िजसका
                                                                                 द

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                                                                          े

               कड़ाई से अनुपालन अिनवाय  कर  या गया। पया वरण िवभाग को सन् 1985 म पूणतया “पयावरण एवं
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                                                क
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               वन मं ालय” का दजा   या गया ता  इससे संबि धत नीित एवं िनयम  को सुदृढ़ एवं दूरदश  बनाकर
                                                क
               सभी उ ोग-ध ध  पर नीितगत लागू  या जा सक। अब पया वरण एवं वन मं ालय को िनयोजन पदो त
                                                          े
                                                                                                        ि
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