Page 15 - E-Book 22.09.2020
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मेरी शीतलता..............
               मेरी पिव ता...............

                       मेरी अिवरलता, मेरी िनवा ध।

                       देखोगे तुम, एक  न होगे आबाद।।
                                     द
               मुझे नीर दो,

                ीर सागर बना दो।


                       पु पद क माला से,
                       खुद को सजा लो।।




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