Page 75 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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इसी Hकार से अपने दन काट रह थी. उसके घर का माहोल भी हर समय वहां
पर याqत चुqपी और सQनाटा, अब तनाव का सहारा पाकर उसके Vलए जैसे
एक जेल बन चुका था. ले8कन ऐसे कब तक चलता? शVश ने एक बार ऐसा ह
सोचा. अपने आगे क/ योजनाओं और आने वाले दन> के बारे मC _वचार 8कया.
इस तरह से वह कब तक और =य> घर मC ह बंद रहेगी? कहाँ तक लोग> क/
Zनगाह> से छ ु पेगी? कब तक घुटती रहेगी? य द ऐसा ह रहा तो वह तो नाहक
ह मर जायेगी. जो होना था वह तो हो गया. शायद ऊपर वाले को यह मंजूर
भी था? उसक/ योजनाओं मC वह तZनक भी हेर-फे र नह ं कर सकती है. शायद
आकाश उसके जीवन मC नह ं था? अगर होता तो वह तो कम से कम आकर
उससे एक बार तो Vमलता ह . य द वह आता तो उसने सोचा था 8क वह उससे
भी इस पLरि?थZत के बारे मC ग[भीरता से बात कर लेगी. मगर वह भी नह ं
आया था. मगर 8फर भी उसे उसके आने का इंतज़ार था.
दन गुज़रे. ह¬ते समाqत हए. आकाश नह ं आया. वह HतीRा करती रह .
ु
एक बार भी उसने आकर नह ं देखा 8क वह जी रह है या मर चुक/ है. तब जब
अंत मC उसक/ HतीRा ने दम तोड़ दया और Zनराशा हाथ मC आई तो शVश क/
आस भी जाती रह . वह Zनराश हो गई. इसक/ उ[मीद> पर 8फर एक बार आग
बरस पड़ी. सारे सपने राख हो गये. 8फर जब दन होता अथवा रात, वह हर
समय अपनी मजबूर और बे-बस, बे-रहम मुसीबत> पर आंसू बहाती रहती.
खामोश और बहत चुप, अके ले-अके ले रो लेती. 8कसी को भी अपनी आँख से
ु
}गरते एक आंसू तक को जा हर नह ं होने देती. घर के बाहर तो Zनकलने का
उसका मन तो यूँ भी अब नह ं करता था. 8फर Zनकलती भी =य>? 8कस आस
और उ[मीद पर? कै सा भी हो? पहले वह एक नार थी. एक भारतीय नार . ऐसी
औरत 8क िजसका इस ~ ढ़वाद समाज मC पहले एक मान होता है. आम-
स[मान है. वह मान तो उसका 8कसी हद तक Zछन ह चुका था. इतना उसके
_पता के गबन का Hभाव उस पर नह ं पड़ा था, िजतना 8क शाद से क ु छ ह
दन पहले उसके _ववाह के ट ू टने के कारण जो उसक/ छछा-लेदर और काना-
फ ू सी उसके अपने ह समाज मC हो रह थी, उसके कारण उसका जीना भी दूभर
हो चुका था.
8फर, जब वह एक दन अपने घर के अके ले कमरे मC पड़े-पड़े उकता गई
75 | जनवर -फरवर 2020