Page 76 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
P. 76

तो वह 8कसी क/ कोई भी परवा न करते हए बाहर Zनकल आई. बाज़ार तक गई
                                           ु
        तो सोचा 8क मं दर मC अपने भगवान के  दश,न भी करती चले. परQतु घर के

        बाहर कदम रखते ह  उसने महसूस 8कया 8क, हर कोई पLर}चत नजर उसे एक
        Hiनसूचक,  खा  जाने  वाल   ‘िBट  से  घूर  रह   है.  लोग>  ने  दूर  से  ह   उस  पर
        छ•ंटाकशी और अपने कट ु  श™द> के  छ•ंटे मारने आर[भ कर  दए थे. कोई-कोई
        तो उसको 'गबन बेट ' कहते हए लांछन भी लगा देते थे. शVश यह सब माजरा
                                 ु
        देख  कर  इतना  अ}धक  परेशान  हो  गई  8क  यह  सब  बाते  सुन  कर  तो  उसके

        कान> के  परदे ह  फटने लगे. वह तुरंत ह  घर लौट आई. 8कसी से भी उसने
        क ु छ नह ं कहा. बस चुपचाप अपने कमरे मC )ब?तर पर }गरकर फ ू ट-फ ू टकर रोने
        लग गई. वह जानती 8क सब क ु छ 8कतनी सहजता से =या होने जाने जा रहा

        था और आनन-फानन मC यह =या हो गया था. उसक/ तो 8क?मत फ ू ट  नह ं थी
        बिक  बदल  गई  थी.  _ववाह  भी  ट ू टा.  आकाश  ने  भी  नह ं  पूछा  और  उस  पर
        उसक/ भरपूर बदनामी. यह सब सोच-सोचकर उसका सारा मि?तBक ह  खराब
        हो  गया.  वह  8फर  से  अपने  कमरे  के   एकांत  मC  परेशान  होने  लगी.  उसे  ऐसा
        लगता था 8क अब जैसे 8कसी को भी उसके  दद,, उसके  दुःख और उस पर आई

        हई परेशाZनय> के  HZत कोई भी हमददÀ नह ं थी.
         ु
             तब एक  दन जब वह अपने घर मC पड़ी-पड़ी बहत ह  अ}धक परेशान हो
                                                     ु
        गई तो _ववश होकर वह चुपचाप काल  देवी के  मं दर मC जा पहँची. अपने मन
                                                             ु
        मC  एक  खतरनाक,  अमानवीय  और  घृ`णत  _वचार  Vलए  हए.  अपनी  आ€मह€या
                                                        ु
        क/ धारणा बनाये हए, परQतु मिQदर मC पहँच कर वहां भी उसक/ सार  योजना
                                            ु
                        ु
        पर पानी 8फर गया. वह शायद भूल चुक/ थी 8क कै सा भी हो, मं दर या ईiवर
        क/ शरण मC वह 8कस Hकार से अपने गलत मQत‡य मC सफल हो सकती थी?
        एन व=त पर वहां के  पुजार  ने आकर उसे मरने से बचा Vलया. उस पुजार  ने

        उसे मरने से तो बचाया ह  पर साथ मC उसे सैकड़> उपदेश भी दे डाले. जीवन
        क/ मह€वता और जीने के  रा?ते भी बताये. आ€मह€या को उसने घोर पाप और
        कायरता बताया. तब शVश चुपचाप अपने घर आ गई. एक थक/ हई, जीवन से
                                                               ु
        Zनराश दु`खया के  समान. हालात ह  ऐसे आ चुके  थे 8क उनके  बारे मC ज़रा सा
        भी सोचने मा* से ह  आँख> मC आंसू भर आते थे.
              इस तरह से एक बार 8फर से शVश अपने घर मC बंद रहने को मजबूर हो
        गई. उसने कॉलेज जाना तो पहले ह  से बंद कर रखा था. हांला8क, उसने जाना

                                             76 |  चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये
   71   72   73   74   75   76   77   78   79   80   81