Page 77 - CHETNA JANUARY 2020- FEBRUARY 2020 FINAL_Neat
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चाहा, जाने क/ कोVशश भी क/ मगर जा नह ं सक/. इसके साथ ह उसके :वारा
आमहया क/ बात भी सारे Vशकोहाबाद मC यहाँ तक फै ल चुक/ थी 8क, पुVलस
भी उसके बारे मC तहक/कात करने उसके घर आ पहंची थी. मगर कै सा भी =य>
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हो, उसके _पता का बKक के मैनेजर के ~प मC इतना असर तो था ह 8क पुVलस
के इंसपे=टर ने उसे समझा-बुझा कर के स को बंद कर दया था. तब शVश 8फर
एक बार अपने घर के कमरे मC अके ले ह रोजाना Zतल-Zतल करके मरने को
_ववश हो गई. वह रोती ह रहती. हर समय उसक/ पलक> मC आंसू ह भरे होते.
चेहरे पर खामोश उदाVसय> का दद, झलकता रहता. कहाँ से =या हो चुका
था?कहाँ उसने सुहा}गन बनने के सपने सजाये थे और वह अब एक कलं8कनी
के समान _वधवा जैसा जीवन जीने पर मजबूर थी. उसका वाब एक दुहन
बनने के ?थान पर एक जीती-जागती लाश बन कर रह गया था. घर मC भी अब
उसे ह सब दोष देने लगे थे. सबका कहना था 8क य द इसके _ववाह क/ न
सोची होती और ना ह कभी ऐसा होता. घर मC भरे ऐसे तनावपूण, वातावरण मC
उसक/ मां भी उसको हर समय बकती रहती. उसे गाVलयाँ भी दे देती. आ`खर
वह उसक/ सौतेल मां थी, कहाँ तक बदा,iत करती. कहाँ तक अपने झूठे qयार
और ममता का ढ>ग रचाकर चुप रह सकती थी?
ऐसी _वषम पLरि?थZत और अपने कमरे के घुटन भरे मॉहोल मC शVश का
जी घबराने लगा. उसका धैय, ट ू ट गया. वह भी कहाँ तक सहन करती. 8फर
सहन और स करने क/ भी एक सीमा होती है. सारे शहर मC बदनामी का
आलम, घर मC सौतेल मां का काटने वाला यवहार, रोजाना सुनने वाले ताने,
रोजाना उसका अपने कमरे का घुटन भरा वातावरण और उसमC भी उसका एक
पRी के समान अपने पंख फड़-फड़ाता हआ जीवन; उसने Vशकोहाबाद छोड़ने का
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मन बना Vलया. उसने चुचाप सोच Vलया और Zनण,य ले Vलया 8क वह चुपचाप
यहाँ से बगैर 8कसी को भी बताये कह ं भी चल जायेगी ले8कन यहां पर अब
नह ं रहेगी. यहाँ य द और रह तो एक दन उसका तो दम ह Zनकल जाएगा.
यहाँ से जाने बाद वह एक बार आकाश से अवiय ह Vमलेगी. उसके सामने रो
लेगी. उससे अपने qयार और अ}धकार क/ भीख मांग लेगी. आ`खरकार उसके
साथ उसक/ सगाई हई है. =या हआ जो समय क/ बदल हई पLरि?थय> के
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कारण उसका _ववाह नह ं हो सका. 8फर भी वह उसक/ होनेवाल पिन ह तो है.
77 | जनवर -फरवर 2020