Page 59 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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“म ने तुमसे जो पहले कहा था उसे याद रखो: नौकरी दीघ कालीन सम या का
अ पकालीन समाधान है। यादातर लोग क े िदमाग़ म िसफ़ एक सम या होती है और यह थोड़े
समय क होती है। यह सम या होती है: महीने क े आिख़र म चुकाए जाने वाले िबल यानी टार
बेबी। अब पैसा उनक िज़ंदगी चलाता है। या म यह कह ँ िक पैसे को लेकर उनका डर और अ ान
उनक िज़ंदगी चलाते ह । तो वे वही करते ह जो उनक े माँ-बाप ने िकया था, सुबह उठो और पैसे
क े िलए काम करो। वे इतना समय भी नह िनकाल पाते िक यह सोच सक , ‘ या कोई दूसरा
तरीक़ा है?’ इस व त वे िदल से सोचते ह , िदमाग़ से नह ।”
“िदल से सोचने और िदमाग़ से सोचने म या फ़क़ होता है?” माइक ने पूछा।
अमीर डैडी ने जवाब िदया। “म इस तरह क े जुमले अ सर सुनता ह ँ, ‘हर आदमी को काम
करना पड़ता है।’ या ‘अमीर लोग शोषक होते ह ।’ या ‘म दूसरी नौकरी ढूँढ़ लूंगा। मेरी तन वाह
बढ़नी चािहए। आप इस तरह मेरा शोषण नह कर सकते।’ या ‘म इस नौकरी को इसिलए पसंद
करता ह ँ य िक यह सुरि त है।’ इसक े बजाय हम यह कहना चािहए, ‘ या यहाँ ऐसा क ु छ है जो
मुझे नह िमल रहा है?’ इस तरह भावना पर आधा रत हमारे िवचार क ज़ंजीर टूट जाएगी और
हम यादा अ छे तरीक़ े से सोचने का मौक़ा िमल जाएगा।”
मुझे मानना ही पड़ेगा, िक मेरे िलए यह सबक़ एक महान सबक़ सािबत ह आ। यह जानना
िक कब कोई आदमी िदल से बोल रहा है और कब िदमाग़ से, िकसक े श द म भावनाएँ छ ु पी ह ई
ह और िकसक े श द म िवचार - यह एक ऐसा सबक़ था जो िज़ंदगी भर मेरे काम आया। ख़ास
तौर पर तब जब म अपने िदल से यानी अपनी भावनाओं से बोल रहा था, न िक अपने िवचार या
िदमाग़ से।
जब हम टोर क तरफ़ वापस मुड़े तो अमीर डैडी ने यह कहा िक अमीर लोग हक़ क़त म
‘पैसा बनाते’ ह । वे इसक े िलए काम नह करते। उ ह ने यह भी बताया िक 5 स ट क े सीसे क े
िस क े ढालते समय जब माइक और म यह सोच रहे थे िक हम पैसे बना रहे थे, तो हमारे िवचार
उसी रा ते पर चल रहे थे िजस पर अमीर लोग चलते ह । िद क़त िसफ़ इतनी थी िक हमारे िलए
ऐसा करना ग़ैरक़ानूनी था। सरकार और ब क क े िलए ऐसा करना क़ानूनी था, परंतु हमारे िलए
नह था। उ ह ने यह भी बताया िक पैसा क़ानूनी और ग़ैरक़ानूनी दोन ही तरीक़ से कमाया जा
सकता है।
अमीर डंडी ने बाद म हम यह समझाया िक अमीर लोग जानते ह िक धन एक म है जो
हक़ क़त म गधे क े सामने लटक गाजर क तरह होता है। धन क े म क े कारण जो डर और
लालच पैदा होता है, उसक वजह से ही अरब -खरब लोग यह सोचते रहते ह िक धन असली
चीज़ है। धन दरअसल एक मायाजाल है। जनता क े अ ान और भरोसे क े म क वजह से ही
ताश क े प का यह महल खड़ा रह पाता है। ''सच कहा जाए तो गधे क गाजर धन से यादा
क़ मती, है'' उ ह ने कहा।
उ ह ने अमे रका क े गो ड ट डड क े बारे म भी बात क और यह बताया िक हर डॉलर का
नोट असल म चाँदी का माणप है। उ ह इस अफ़वाह से िचंता हो रही थी िक िकसी िदन हम