Page 57 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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हमारी मेज़ क े नीचे सॉ टबॉल आ गई। अमीर डैडी ने उसे उठाया और वापस िखलािड़य क े
पास फ क िदया।
“तो अ ान का लालच और डर से या ता लुक़ है?” म ने पूछा।
“यह पैसे का अ ान ही है िजसक वजह से इतना लालच और इतना डर पैदा होता है,”
अमीर डैडी ने कहा। “म तु ह क ु छ उदाहरण देता ह ँ। एक डॉ टर जो अपने प रवार को यादा
ख़ुशी देना चाहता है, अपनी फ़ स बड़ा देता है। उसक फ़ स बढ़ने क वजह से वा य सुिवधाएँ
हर एक क े िलए महँगी हो जाती ह । अब इससे ग़रीब लोग को सबसे यादा नुक़सान पह ँचता है,
इसिलए ग़रीब लोग का वा य अमीर लोग से यादा बुरा होगा।
“अब चूँिक डॉ टर ने अपनी फ़ स बढ़ा दी है, इसिलए वक ल भी अपनी फ़ स बढ़ा देते ह ।
चूँिक वक ल ने अपनी फ़ स बढ़ा दी है, इसिलए क ू ल क े टीचर भी अपनी तन वाह बढ़वाना
चाहते ह , िजसक े कारण हमारा टै स बढ़ता है और यह िसलिसला अनंत काल तक यूँ ही चलता
रहता है। ज द ही, अमीर और ग़रीब लोग क े बीच इतना भयानक अंतर हो जाएगा िक लय आ
जाएगी और एक और महान स यता धराशायी हो जाएगी। महान स यताएँ तभी धराशायी ह ई ह
जब अमीर और ग़रीब क े बीच का फ़ासला बह त यादा हो गया है। अमे रका भी उसी रा ते पर
चल रहा है, और इससे यह सािबत होता है िक इितहास अपने आपको दोहराता है य िक हम
इितहास से क ु छ नह सीखते ह । हम क े वल ऐितहािसक तारीख़ और नाम रटते ह , उनक े सबक़
को भूल जाते ह ।”
“ या क़ मत नह बढ़नी चािहए?” म ने पूछा।
“अ छी तरह से चल रही सरकार और एक िशि त समाज म तो नह । क़ मत दरअसल कम
होनी चािहए। ज़ािहर है िक ऐसा क े वल िस ांत म ही हो सकता है। क़ मत अ ान से पैदा ह ए
लालच और डर क े कारण बढ़ती ह । अगर क ू ल म धन क े बारे म िसखाया जाता तो लोग क े
पास यादा पैसा होता और बाज़ार क क़ मत भी कम होत , परंतु क ू ल म िसफ़ पैसे क े िलए
काम करना िसखाया जाता है, पैसे क ताक़त का इ तेमाल नह िसखाया जाता।”
“परंतु हमारे यहाँ िबज़नेस क ू ल भी ह ?” माइक ने पूछा। “ या आप मुझे अपनी मा टस
िड ी क े िलए िबज़नेस क ू ल जाने क े िलए े रत नह कर रहे ह ?”
“ही,” अमीर डैडी ने कहा। “परंतु अ सर ऐसा होता है िक िबज़नेस क ू ल ऐसे कम चा रय
को िशि त करते ह जो प र क ृ त बीन काउंटस होते ह । ई र ही मािलक है जब कोई बीन
काउंटर िबज़नेस सँभाल ले। वे िसफ़ सं या को देखते ह , लोग को िनकालते ह और िबज़नेस का
गला घ ट देते ह । म जानता ह ँ य िक म बीन काउंटस से काम लेता ह ँ। वे िसफ़ इतना ही सोचते
ह िक लागत क ै से कम क जाए और क़ मत क ै से बढ़ाई जाए, िजससे बह त सी सम याएँ पैदा हो
जाती ह । बीन काउंिटंग भी मह वपूण है। म सोचता ह ँ िक यादा लोग को इस बारे म जानना
चािहए, परंतु यह भी पूरी त वीर नह बताती।” अमीर डैडी ने ग़ु से से कहा।
“तो िफर या इसका कोई हल है?” माइक ने पूछा।