Page 53 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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ककर उसम  क ु छ ढूँढ़ने लगा, जैसे उसे िकसी ने समझाकर भेजा हो। चचा  क े  इस मोड़ पर हम

               तीन  उसक  हरकत  को िदलच पी क े  साथ देख रहे थे, जबिक इससे पहले हमने उसे
               नज़रअंदाज़ कर िदया होता।

                     अमीर डैडी ने अपने पस  म  से एक डॉलर िनकाला और उस पागल बूढ़े को पास आने का
               इशारा िकया। पैसा देखते ही वह त काल चला आया, उसने पैसे िलए और अमीर डैडी को ढेर सी
               दुआएँ द  और अपनी अ छी िक़ मत पर ख़ुश होकर वह ज दी से चला गया।

                     “इसम  और मेरे  यादातर कम चा रय  म  बह त अंतर नह  है,” अमीर डैडी ने कहा। ''म  ऐसे
               बह त से लोग  से िमला ह ँ जो कहते ह , ‘अरे, मुझे पैस  म  कोई  िच नह  है।’ िफर भी वे हर रोज़
               आठ घंटे क  नौकरी पर जाते ह । यह तो स चाई को नकारना है। अगर उ ह  पैसे म   िच नह  है,

               तो वे नौकरी पर  य  जाते ह ? इस तरह का िचंतन पागलपन का िचंतन है। उस कं जूसी भरे
               िचंतन से भी  यादा पागलपन का, िजसम  कोई आदमी पैसे पर क ुं डली मारकर बैठ जाता है।”

                     जब म  वहाँ अपने अमीर डैडी क  बात सुन रहा था तब मेरे िदमाग़ म  यह  याल आ रहा था
               िक मेरे ग़रीब डैडी हज़ार बार यह कह चुक े  थे, “मुझे पैसे म  कोई  िच नह  है।” वे ऐसा अ सर
               कहा करते थे। वे ख़ुद क  असली भावनाओं को छ ु पाने क े  िलए हमेशा यह भी कहा करते थे, “म
               इसिलए काम करता ह ँ  य िक मुझे अपना काम बह त पसंद है।”

                     “तो हम   या करना चािहए?” म ने पूछा। “यही िक हम पैसे क े  िलए काम नह  कर , जब

               तक िक हमारे मन से डर और लालच क  भावनाएँ पूरी तरह से न िनकल जाएँ?”

                     “नह , उसम  तो बह त समय बबा द हो जाएगा,” अमीर डैडी ने कहा। “भावनाओं क े  कारण
               ही तो हम इंसान ह । इ ह  क े  कारण हमारी ह ती है। ‘भावना’ श द का मतलब है चलायमान
               ऊजा । अपनी भावनाओं क े  बारे म  ईमानदार रहो और अपने िदमाग़ और भावनाओं का इ तेमाल
               अपने समथ न म  करो, न िक अपने िवरोध म ।”

                     “आहा!” माइक ने कहा।

                     “अगर तु ह  मेरी बात समझ म  नह  आई हो, तो इस बारे म  िचंता मत करो। आगे आने वाले

               साल  म  तु ह  इसका मतलब समझ म  आएगा। अपनी भावनाओं पर  िति या करने क े  बजाय
               उनका िव ेषण करने क  कोिशश करो।  यादातर लोग यह नह  जानते िक वे अपने िदमाग़ से
               सोचने क े  बजाय अपने िदल क  भावनाओं से सोचते ह । आपक  भावनाएँ तो आपक  रह गी ही,
               परंतु आपको अपने िदमाग़ से सोचना भी आना चािहए,  य िक िदमाग़ को सोचने क े  िलए ही
               बनाया गया है।”

                     “ या आप मुझे इसका कोई उदाहरण दे सकते ह ?” म ने पूछा।

                     “ य  नह ?” अमीर डैडी ने जवाब िदया। “जब कोई आदमी कहता है, ‘मुझे नौकरी खोजने
               क  ज रत है,’ तो इस बात क  बह त संभावना है िक उसक  भावनाएँ फ़ ै सला कर रही ह । इस

               िवचार का असली कारण है पैसा न होने का डर।”

                     “परंतु अपनी िज़ंदगी चलाने क े  िलए लोग  को पैसे क  ज़ रत तो पड़ती ही है,” म ने कहा।
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