Page 49 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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रहने क े बाद िमलने वाली थोड़ी सी प शन का सपना देखते रहते ह । अगर इस तरह क िज़ंदगी
जीने म तु ह सुख िमलता है, तो म तु हारी तन वाह बढ़ाकर 25 स ट ित घंटा कर सकता ह ँ।”
“परंतु ये लोग अ छे लोग ह और मेहनती भी ह । िफर आप उनका मज़ाक़ य उड़ा रहे ह ?”
म ने पूछा।
अमीर डैडी क े चेहरे पर मु कान आ गई।
“िमसेज़ मािट न मेरे िलए माँ जैसी ह । म इतना कठोर नह हो सकता िक उनका मज़ाक़
उड़ाऊ ँ । यह कठोर लगता ज़ र है य िक म तुम दोन क े सामने ि थित प करना चाहता ह ँ
और वह भी आसान श द म । म तु हारे नज़ रए को बड़ा करना चाहता ह ँ तािक तुम क ु छ आगे भी
देख सको, दूर तक देख सको। यादातर लोग को आगे देखने का फ़ायदा कई बार िसफ़
इसिलए नह िमल पाता य िक उनक े देखने का दायरा बह त छोटा होता है। यादातर लोग िजस
जाल म फ ँ से ह ए ह , वे उसे देख ही नह पाते।”
माइक और म वहाँ पर सोचते ह ए बैठे रहे, य िक हम उनक बात का मतलब पूरी तरह से
नह समझ सक े थे। उनक बात सुनने म कठोर और कड़वी लग रही थ , परंतु हम यह भी जानते
थे िक वे हम क ु छ िसखाने क काफ़ कोिशश कर रहे थे।
मु कराहट क े साथ अमीर डैडी ने कहा, “ या 25 स ट ित घंटे का ऑफ़र अ छा नह
लगा? या इससे िदल क धड़कन तेज़ नह ह ई?”
म ने अपना िसर ‘ना’ म िहलाया, जबिक असल म ऐसा ही ह आ था। एक घंटे काम क े बदले
म प चीस स ट मेरे िहसाब से बह त बिढ़या सौदा था।
“अ छा, म तु ह एक घंटे क े एक डॉलर दूँगा,” अमीर डैडी ने शरारत भरी मु कान क े साथ
कहा।
अब मेरा िदल तूफ़ान मेल क तरह दौड़ रहा था। मेरा िदमाग़ चीख़-चीख़कर कह रहा था,
“इसक बात मान लो। मान लो।” मुझे अपने कान पर भरोसा नह हो रहा था। परंतु िफर भी म
चुप रहा।
“अ छा दो डॉलर ित घंटे।”
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे छोटे से नौ साल पुराने िदमाग़ म िकसी ने बम फोड़ िदया हो। 1956
म दो डॉलर ित घंटे क कमाई मुझे दुिनया का सबसे अमीर ब चा बना देती। म इतना सारा पैसा
कमाने क क पना भी नह कर सकता था। म ‘ही’ कहना चाहता था। म सौदा प का करना
चाहता था। मुझे नई सायकल िदख रही थी, नए बेसबॉल क े ल ज़ िदख रहे थे। मेरे पास कड़क
नोट देखकर मेरे दो त क जलन और तारीफ़ भी मुझे साफ़ िदख रही थी। सबसे बड़ी बात तो
यह थी िक िजमी और उसक े अमीर दो त मुझे िफर कभी ग़रीब नह कह सकते थे। परंतु िकसी
वजह से म ख़ामोश खड़ा रहा।
हो सकता है िक मेरे िदमाग़ म गम बढ़ जाने से उसका युज़ उड़ गया हो। परंतु मन ही