Page 46 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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“नह !” अमीर डैडी ने कहा। “सरकार हमेशा अपना िह सा पहले ही ले लेती है।”

                     “सरकार ऐसा क ै से करती है?” म ने पूछा।


                     “टै स,” अमीर डैडी ने कहा। “जब आप कमाते ह  तो आप पर टै स लगता है। जब आप
               ख   करते ह  तो आप पर टै स लगता है। जब आप बचाते ह  तो आप पर टै स लगता है। जब आप
               मर जाते ह  तो भी आप पर टै स लगता है।”

                     “लोग सरकार को ऐसा  य  करने देते ह ?”

                     “अमीर लोग ऐसा नह  करने देते,” अमीर डैडी ने मु कराकर कहा। “परंतु ग़रीब और म य
               वग य लोग ऐसा करने देते ह । म  दावा करता ह ँ िक म  तु हारे डैडी से  यादा कमाता ह ँ, परंतु वे
                यादा टै स चुकाते ह ।”

                     “यह क ै से संभव है?” म ने पूछा। नौ साल का ब चा इस अजीब आँकड़े को समझ नह  पा

               रहा था। “कोई आदमी सरकार को ऐसा करने क  इजाज़त क ै से दे सकता है?”

                     अमीर डैडी चुपचाप बैठे रहे। म  समझ गया िक वे चाहते थे िक म  सुनूँ, न िक उनसे फ़ालतू
               क े  सवाल क  ँ । आिख़र म  शांत हो गया। जो म ने सुना था, वह मुझे अ छा नह  लगा था। म
               जानता था िक मेरे डैडी हमेशा टै स का रोना रोते रहते थे, परंतु दरअसल इस बारे म  वे क ु छ भी
               नह  कर पाते थे।  या िज़ंदगी उ ह  ध का दे रही थी?

                     अमीर डैडी मेरी तरफ़ देखते ह ए अपनी क ु स  म  धीमे-धीमे और ख़ामोशी से िहलने लगे।

                     “सीखने क े  िलए तैयार?” उ ह ने पूछा।

                     म ने अपना िसर धीमे से िहलाया।


                     “जैसा म ने कहा, सीखने क े  िलए बह त क ु छ है। पैसे से अपने िलए काम क ै से करवाया जाए,
               यह िजंदगी भर चलने वाली पढ़ाई है।  यादातर लोग चार साल क े  िलए कॉलेज जाते ह  और
               उनक  पढ़ाई पूरी हो जाती है। म  पहले से ही जानता ह ँ िक मेरी धन संबंधी पढ़ाई जीवन भर
               चलेगी, और इसक  वजह यह है िक म  िजतना  यादा जान लेता ह ँ, उससे भी  यादा जानने क
               मेरी िज ासा बढ़ती चली जाती है।  यादातर लोग इस िवषय को कभी नह  पढ़ते। वे नौकरी पर
               जाते ह , अपनी तन वाह लेते ह , अपनी चेकबुक को बैल स करते ह  और बात ख़ म हो जाती है।
               इसक े  बाद भी उ ह  अचरज होता है िक उनक े  जीवन म  पैसे क  सम याएँ  य  ह । िफर, वे सोचते

               ह  िक  यादा पैस  से उनक  सम या हल हो जाएगी। बह त कम लोग  को यह एहसास होता है िक
               असली सम या धन संबंधी िश ा या  ान क  है।”

                     “तो मेरे डैडी को टै स क  सम या इसिलए है  य िक उनम  पैसे क  समझ नह  है?” म ने
               िवचिलत होकर पूछा।

                     “देखो,” अमीर डैडी ने कहा। “पैसे से अपने िलए क ै से काम करवाया जाए, टै स तो उस
               िश ा का िसफ़    एक िह सा है। आज तो म  िसफ़    यह देखना चाहता था िक तुमम  अब भी पैसे क े
               बारे म  सीखने क   बल इ छा बची है या नह ।  यादातर लोग  म  सीखने क   बल इ छा नह
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