Page 50 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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मन म 2 डॉलर ित घंटे का ऑफ़र मानने क े िलए बेताब था।
आइस म िपघल चुक थी और मेरे हाथ पर बह रही थी। आइस म क डंडी ख़ाली थी
और इसक े नीचे वैिनला और चॉकलेट क े टुकड़े थे िजसक े मज़े च िटयाँ ले रही थ । अमीर डैडी हम
दोन ब च को देख रहे थे जो आँख फाड़कर और ख़ाली िदमाग़ से उ ह धूर रहे थे। उ ह मालूम
था िक वे हमारी परी ा ले रहे ह और वे यह भी जानते थे िक हमारे िदल का एक कोना उस ऑफ़र
को मानने क े िलए बेताब हो रहा होगा। वह जानते थे िक हर यि क आ मा का एक िह सा
कमज़ोर और ज़ रतमंद होता है, िजसे ख़रीदा जा सकता है। और वे यह भी जानते थे िक हर
यि क आ मा का एक िह सा मज़बूत और ढ़ िन यी होता है िजसे कभी नह ख़रीदा जा
सकता। असली सवाल यह था िक इनम से कौन सा िह सा यादा ताक़तवर है। उ ह ने अपनी
िज़ंदगी म हज़ार लोग क परी ा ली थी। जब वे नौकरी माँगने क े िलए आए लोग का इंटर यू
लेते थे तो वे हर बार आ माओं क परी ा लेते थे।
“अ छा, 5 डॉलर ित घंटे।”
अचानक मेरे अंदर शांित छा गई। क ु छ था जो बदल गया था। ऑफ़र बह त ही बड़ा था और
मूख तापूण लग रहा था। 1956 म िगने-चुने वय क को 5 डॉलर ित घंटे से यादा िमलता
होगा। लालच ख़ म हो गया था और इसक जगह शांित ने ले ली थी। धीमे से म अपनी बाईं तरफ़
खड़े माइक क तरफ़ मुड़ा। उसने भी मेरी तरफ़ देखा। मेरी आ मा का जो िह सा कमज़ोर और
ज़ रतमंद था, वह ख़ामोश हो चुका था। मेरा वह िह सा िजसे ख़रीदा नह जा सकता था, वह
आगे आ चुका था। मेरे िदमाग़ और आ मा म पैसे को लेकर ह ए इस यु म शांित और िव ास
जीत चुक े थे। म जानता था िक माइक भी उसी िबंदु पर पह ँच चुका होगा।
“अ छा,” अमीर डैडी ने धीमे से कहा। “ यादातर लोग क एक क़ मत होती है। और
उनक क़ मत इसिलए होती है य िक हम सभी म दो भावनाएँ होती ह , डर और लालच। पहले तो
पैसे क े िबना रहने क े डर से हम कड़ी मेहनत करने क ेरणा िमलती है। इसक े बाद जब हम
तन वाह िमलती है, तो हमम लालच या इ छा क भावना जाग जाती है। पैसा होने पर हम उन
बिढ़या चीज़ क े बारे म सोचने पर मजबूर हो जाते ह जो उस पैसे से ख़रीदी जा सकती ह । इस
तरह हमारी िज़ंदगी का एक पैटन बन जाता है।”
“िकस तरह का पैटन ?” म ने पूछा।
“सुबह जागने, काम पर जाने, ख़च करने, सुबह जागने, काम पर जाने, ख़च करने...
लोग क िज़ंदगी हमेशा डर और लालच इ ह दो भावनाओं से चलती है। उ ह अगर यादा पैसा दे
भी द , तो वे इसी पैटन पर चलकर अपना ख़च बढ़ा ल गे। इसी पैटन को म चूहा दौड़ कहता ह ँ।”
“ या कोई दूसरा रा ता भी है?” माइक ने पूछा।
“हाँ,” अमीर डैडी ने धीमे से कहा। “परंतु इसे बह त कम लोग खोज पाते ह ।”
“और वह रा ता या है?” माइक ने पूछा।
“उसी रा ते को तुम लोग काम करते ह ए और मेरे साथ सीखते ह ए खोज लोगे, म यही