Page 52 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
P. 52
अपनी नौकरी म ख़ास मज़ा नह आता था और वे कभी ख़ुश भी नह िदखते थे। िफर या वजह
थी जो उ ह ज दी ऑिफ़स िफस जाने क े िलए े रत करती थी।
जब अमीर डैडी ने देख िलया िक हम िजतना समझ सकते थे, हमने उतना समझ िलया है
तो उ ह ने आगे कहा, ''म यह चाहता ह ँ िक तुम लोग इस जाल से बचो। दरअसल म तु ह यही
िसखाना चाहता ह ँ। मेरा मक़सद तु ह िसफ़ अमीर बनना िसखाना नह है, य िक अमीर बनने
से सम या नह सुलझेगी।''
''अमीर बनने से सम या नह सुलझेगी?'' म ने आ य से पूछा ।
''िबलक ु ल नह । मुझे दूसरी भावना, इ छा क े बारे म अपनी बात पूरी करने दो । क ु छ लोग
इसे लालच कहते ह , परंतु म इसे इ छा कहना यादा पसंद करता ह ँ। यह बुरा नह है िक हम
िकसी बेहतर, यादा सुंदर, यादा सुखद या रोमांचक चीज़ क इ छा रख । लोग इ छा क वजह
से भी पैसे क े िलए काम करते ह । उ ह सुख क े िलए भी पैसे क ज़ रत होती है य िक वे मानते
ह िक पैसे से सुख ख़रीदा जा सकता है। परंतु पैसा जो ख़ुशी देता है वह अ सर पल भर क होती
है। उ ह यादा ख़ुशी, यादा आनंद, यादा आराम, यादा सुर ा हािसल करने क े िलए और
यादा पैसे क ज़ रत होती है। इसिलए वे काम करते रहते ह , और यह सोचते रहते ह िक पैसा
डर और लालच से परेशान उनक आ माओं को शांत कर देगा। परंतु पैसा यह काम नह कर
सकता।”
“अमीर होने क े बाद भी नह ?” माइक ने पूछा।
“हाँ, अमीर होने क े बाद भी नह ,” अमीर डैडी ने कहा। “दरअसल, बह त से अमीर लोग
इ छा क े कारण नह , बि क डर क े कारण अमीर होते ह । वे सचमुच सोचते ह िक दौलत हो तो
पैसे न होने का डर, ग़रीब होने का डर ख़ म हो जाता है इसिलए वे ढेर सारी दौलत जमा कर
लेते ह और तब जाकर उ ह पता चलता है िक उनका डर और बढ़ गया है। उ ह अब इसक े खोने
क िचंता सताने लगती है। म ऐसे दो त को जानता ह ँ जो बह त सा पैसा होने क े बाद भी काम म
जुटे रहते ह । म ऐसे लोग को भी जानता ह ँ िजनक े पास आज करोड़ क दौलत है परंतु वे आज
उससे भी यादा िचंितत और परेशान ह िजतने वे अपनी ग़रीबी क े िदन म थे। उ ह इस बात का
डर है िक वे अपनी सारी दौलत खो द गे। अमीर बनने से पहले जो डर उ ह सता रहे थे, वे अमीर
बनने क े बाद और भी बढ़ गए ह । दरअसल उनक आ मा का कमज़ोर और ज़ रतमंद िह सा अब
और तेज़ी से चीख़ रहा है। वे अपने आलीशान बंगल , शानदार कार और उस ऐशोआराम क
िज़ंदगी को नह खोना चाहते, जो पैसे से ख़रीदी गई है। वे इसी िचंता म घुलते रहते ह िक अगर वे
कं गाल हो गए, तो उनक े दो त या कह गे। इसी िचंता क वजह से कई लोग तो यूरोिटक और
क ुं िठत हो चुक े ह , हालाँिक वे अमीर िदखते ह और उनक े पास पहले से यादा पैसा है।”
“तो या ग़रीब आदमी यादा सुखी होता है?” म ने पूछा।
“नह , मेरे िहसाब से तो ऐसा नह होता,” अमीर डैडी ने जवाब िदया। “पैसे से दूर रहना भी
उतना ही बड़ा पागलपन है िजतना िक उसक े पीछे भागना।”
उसी समय क़ बे का एक पागल हमारी मेज़ क े पास से गुज़रा और क ू ड़ेदान क े पास