Page 303 - E-Magazine 2016-17
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ह िंदी हदवस

                                       भाषा - यह एक माध्यम है जिसके  द्वारा हम इंसान अपने पवचार प्रस्तुत करते

                                       है  ।  दुतनया  में  बहत  सारी  भाषाएाँ  बोली  िाती  है  |  हमारे  देि  -  भारत  में  भी
                                                         ु
                                       अनेक  भाषाएाँ  बोली  िाती  है  ।  भारत  की  राष्ट्र  भाषा  दहंदी  है  ।  हर  साल  १४
                                       शसतंबर को ’दहंदी ददवस’ मनाया िाता है । १४ शसतंबर १९४९ को हमारे संपवधान

                                       सभा ने यह तनर्ाय शलया था - फक दहंदी हमारी राष्ट्र भाषा है । दहंदी ददवस के
                                       ददन पाििालाओ में कई कायाक्रम होते है । कई पाििालाओ में दहंदी सप्ताह भी
                                       मनाया  िाता  है  ।  दहंदी  में  तनबंध  लेखन,  कपवता  ,  कहातनयााँ  लेखन  की

                                       प्रततयोचगता  आदद  का  आयोिन  किया  जाता  है  ।  इस  ददन  सभी  सरकारी
          कायाालयों में अंग्रेिी के  स्थान पर दहंदी का उपयोग करने की सलाह दी िाती है । दहंदी ददवस मनाने से हम सभी

          भारतवाशसयो में हमारी राष्ट्रभाषा के  प्रतत सम्मान और िागृतत सदा के  शलए बनी रहेगी ।
                                                       जय ह न्द ।



                                समझ के  पढ़ना

         पढ़ाई ऐसी है िो हमारे ददमाग को तेज़ बनाती है और बहत क ु छ शसखाती है.
                                                       ु
               पढ़ाई से ज्ञान शमलता है, इसके  शलये समझ  कर पढ़ना चादहए ।

         पढाई बहत सी चीज़ों में पायी िाती है, िैसे फक पुस्तको में.
                ु
               पढाई करने से िीवन में आगे बढ़ते है, एक लक्ष्य शमलता है.
         पढाई करके  िो ज्ञान प्राप्त  होता है , उसे दू सरो तक पहाँचाना भी चादहए.
                                                      ु
               समझ  के  पढ़ने से िो ज्ञान प्राप्त होता है वो िीवन भर काम आता है,

         न समझ  के  पढ़ने से थोड़े समय ही याद रहता है.

               डॉ.ऐ.पी.िे.अब्दु ल कलाम हमारे देि के  राष्ट्रपतत बने
               और एक वैज्ञातनक भी थे और वो समझ  कर पढ़ते थे.
               इसके  शलये समझ  कर पढाई करना बहत ज़ऱूरी है.
                                              ु
                                                      Rehan Sayyed    Class-III-N


                        झरना                                                        Nivasini M. VI—J
           झर-झर झरना झरता है
           झरना तुमसे क ु छ कहता है
                वह कहता है रुको नहीं तुम

                देख मुसीबत झुको नहीं तुम
           चट्टानें हों राह खड़ी हो
           दीवारें भी बड़ी खड़ी हों

                आगे-आगे बढ़ते िाओ
                उछल-उछल कर चलते िाओ
           थककर पथ में बैि न िाना
           कायरता न कभी ददखलाना

                पथ की बाधाओं को तोड़ो
                सबसे नव-नव ररश्ते िोड़ो
                                                                      Mridu Prashat  -  V
                       िेजस्वी जी. 8-G
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