Page 306 - E-Magazine 2016-17
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मेरा व  अखिंि भारि                                  चमन  ै ये मेरा, ये मेरा विन  ै !!

                                                                ये भारत की धरती, ये दहंदुस्तान है।
         यह देि था अखंड
                                                                वतन है ये मेरा, ये मेरा िहााँ है।
         परंतु अब हो गए इसके  खंड,
         िहााँ लोग रहते थे एक                                   यहीं पर है िीना, भी मरना यहााँ है।
         वहााँ भेदभाव हो गए अनेक,                               इसे छोड़कर मुझको िाना कहााँ है ?
         हे भगवान ! सब क ु छ लूट गया
                                                                चमन है ये मेरा, ये मेरा वतन है।
         मेरा भारत ट ूट गया ।
                                                                           मैं नग़में िो गाता था पहले चमन में,
                कहलाती यह सोने की चचड़ड़या
                                                                           वो नग़में तो क्या ? आह भरता नहीं अब।
                परंतु अब बाँट गई नदी महोदया,
                                                                           हवा एक ऐसी चली है चमन में,
                िहााँ आपसी प्रेम था सीमाहीन
                वहााँ आपसी भावना हो गई हीन,                                   मेरे पंख होकर भी उड़ता नहीं अब।
                हे भगवान ! मेरा लक्ष्य कट गया                                 चमन है ये मेरा, ये मेरा वतन है।

                मेरा भारत बाँट गया ।                            मुसलमान, दहंदू, शसख, ईसाई,
         एक खंड तो नेपाल, दूसरा खंड पाफकस्तान,                  पढ़ाया था मुझको के  सब भाई-भाई।

         बाँट गया दहमालय, बाँट गया रेचगस्तान,                   ये नफ़रत की आाँ धी है फकसने चलाई,
         बाँट गया वतन, बाँट गए ख्वाब,
                                                                के  लड़ते हैं आपस में भाई- से -भाई।
         बाँट गए खेत, बाँट गया पंिाब,
                                                                चमन है ये मेरा, ये मेरा वतन है।
         हे भगवान ! यह भ्रातृ त्व फफर संचचत नहीं हआ
                                            ु
                                                                              नहीं दीन कोई शसखाता है नफ़रत,
         मेरा भारत फफर रंजित नहीं हआ ।
                                ु
                                                                              के  मज़हब की बुतनयाद ही है मुहब्बत,
                      िय दहन्द !
                                                                       मज़हब ही के  नाम पर क्यों शसयासत?
                           आिुतोष िमाा 9 - G
                                                                              लड़ाते हैं लोगों को पाने हक ू मत।
                                                                                                     ु
                                                                              चमन है ये मेरा, ये मेरा वतन है।
                          मैिम
                मैडम मेरी फकतनी अच्छी                           ये दहंदुस्तान है मुहब्बत की धरती,
                हम बच्चों िैसी सच्ची                            फकसी से भी नफ़रत नहीं हमको िाँचती,

                खेल-खेल में हमें पढ़ाती                          ये ऋपषयों का मस्कन, है वशलयों की बस्ती,
                ढेरों अच्छी बातें बताती                         हमें ज़ेब देगी न फफ़रक़ा परस्ती,
                हम बच्चों िैसी प्यारी मैडम                      चमन है ये मेरा, ये मेरा वतन है।

                सबसे अच्छी न्यारी मैडम                                        इलाही बहारों का मौसम ददखादे,
                     मैडम मेरी फकतनी अच्छी                                    तू फफ़र बुलबुलों को चहकाना सीखा दे,
                     सही और गलत का मतलब                                       दुआ हैं ये फ़राज़ के  सुन ले खुदाया,
                     हम बच्चों को समझाती है                                   है वीरान चमन तो गुशलस्तान बना दे|

                     गलती करने पर हमें डााँटती                                चमन है ये मेरा, ये मेरा वतन है।
                     फफर मााँफी मााँगने पर हमें
                                                                                      मो म्मद फ़राज़ बेग X – F
                     माफ भी कर देती है

                     सबसे प्यारी दुलारी मैडम
                     उमा शाफफया 9-E
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