Page 309 - E-Magazine 2016-17
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भारि मािा,नमो-नमो


         पृथ्वीलोक से लौटे देवदूतों ने,     अप्सरा और दासी एक ही श्रेर्ी में    अरे! बबस्तर, तफकये, बक्से, टायलेट की
         स्वगालोक में मोदी का यिोगान सुनाया   आयेगी।                           दीवारों में, मेरा क्या काम।।

         सुनते ही देवराि इंद्र का सर चकराया!    हे प्रभु, स्वगालोक की औकात क्या रह   हे देवराि, आपकी आिा है व्यथा।
         उसे इंद्रलोक का शसंहासन डोलता निर   िायेगी।                           आपकी सहायता करने में हम नहीं है
         आया!!                              महादेव बोले -हे देवराि इंद्र!      समथा।।

         दौडा -दौडा पहाँचा ब्रह्मा िी क े द्वार !     उचचत है आपका ये अन्तदावंद्व!!    िाओ वापस, इन्द्रलोक िाओ।
                     ु
         रक्षा करो प्रभु !  हे िगत आधार!!    पर नरेन्द्र ने कै लाि पर दो वषा क े कदिन  अप्सराओं का रास रंग छोड,
         पृथ्वीलोक पर "नरेन्द्र" नामक मानव ने   तप से वरदान पाया है !          अमीर—गरीब का भेद शमटाओ।

         कोहराम मचाया है !                  अमीर और गरीब क े भेद को दूर करने का,  ितायु पूर्ा होने पर,
         स्वगालोक का शसंहासन हड़पने का पवचार   बीड़ा उिाया है!                   िब नरेन्द्र स्वगालोक में आयेगा।
         उसके  मन में आया है!!              उसकी तपस्या व्यथा नहीं िायेगी !     अपने प्रतापी िौया, ित ्  कमों से
         स्वगालोक में मोदी—मोदी क े नारे लग रहे  पृथ्वीलोक क े बाद स्वगालोक की भी बारी  स्वगालोक का राि शसंहासन पायेगा।।

         हैं।                               आयेगी! !                           स्वगालोक को भी है, नरेन्द्र से एक ही
         लोग रािा का चुनाव करने की मााँग कर                                    आस!
         रहे हैं।                           हे देव, तुम बैक ुं ि धाम िाओ।      सबका साथ - सबका पवकास!!

         बदहवास इन्द्र को देख ब्रह्मा मुस्क ु राये।  श्री हरर को अपनी व्यथा सुनाओ।।
                                                                               और इधर पृथ्वीलोक में क ु छ संपाती,
         बोले -तुम भी इन्द्र, वो भी नरेन्द्र !    सुनते ही इन्द्र करने लगा पवलाप।
                                                                               िुगनुओं की तरह दटमदटमा रहे हैं।
         फफर दोनों क े मध्य फकस बात का द्वंद्व!   हआ नहीं दूर, उसके  मन का संताप।।
                                             ु
                                                                               सूरि को छ ू ने की चाह में
                                            थोडी देर में होि आया।
                                                                               अपने पंख िला रहे हैं।।
         हे देवराि, वो मानव है महान।        स्वयं को क्षीरसागर में लेटे,
                                                                               पर अंतत:वो सब मुाँह की खायेंगे।
         उसे शमला है कािी पवश्वनाथ से       लक्ष्मी -नारायर् क े चरर्ों में पाया।।
                                                                               30 ददसंबर क े बाद िेल िायेंगे।।
         चक्रवती सम्राट होने का वरदान।।     बोला हे स्वामी! आप तो हैं अन्तयाामी!!

         इसशलए तुम कै लाि पवात िाओ।         पृथ्वीलोक पर नरेन्द्र नाम का रािा
                                                                                                       -प्रौभमला अय्यर
         महादेव को अपनी व्यथा सुनाओ।।       आतंक मचा रहा है! खुद को लक्ष्मी का
         घबराया इन्द्र कै लाि पवात आ पहाँचा।    ित्रु बता रहा है!!
                                    ु
         कांधे पे लटके  वस्त्र से माथे का पसीना   उसने अपने राज्जय में लगा दी है
         पहाँचा।                            लक्ष्मी पर पाबंदी।
            ु
         बोला -हे िटाधारी ! स्वगालोक पर आई   प्रिा की भाषा में जिसे कहते हैं

         मुसीबत भारी!!                      नोटबंदी।।
         पृथ्वीलोक का पूरा वृतांत सुनाया।    लक्ष्मी िी बोली - हे देवराि! तुम्हारी

         आाँख में  आाँसू, गला भर आया।।      बात सुनकर भर आया है मेरा मन!
                                            जिसे तुम लक्ष्मी कह रहे हो
         हे प्रभु क ु छ तो करो उपाय।
                                            दरअसल तो वो है कालाधन!!
         मेरा शसंहासन और देवताओं की लाि बच
                                            मिदूर क े पसीने में,गरीब की रोटी में,
         िाये।।
                                            फकसान की फसल में, बच्चों की मुस्कान
         एक मानव स्वगालोक पर राि करेगा।
                                            में है मेरा धाम।
         और देवता रािन, बैंक की लाइन में

         लगेगा।
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