Page 7 - karmyogi
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िन्र्दाता ि,
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पि िपूतों को खोया था,
अिंत पवषाद को
हृदय पर ढोया था,
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पर दव का दवत्व निराला था,
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छिी िंताि चगरधारी ि उन्िें
कपण की तरि िम्भाला था।
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िातवीं िंताि पावमती ि े
पी सलया यौवि र्ें िी
वैधव्य का िाला था,
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पीडा क इि प्रिर र्ें भी टटी
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ििीं वि,
उच्ि र्िोबल था,
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बि िर्ाि िपवका
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स्वयं को िवमश्रपि िीवि द डाला था।