Page 9 - karmyogi
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                      दख निखरता पुि को

                     गपवमत था पपता का र्ि,

               िाग उिी अंतर्मि की इच्छा


                                            े
                                                 े
              िो करतारपुर ि पिावर तक ,
                          व्यापार का वधमि ,


                                    अब तो


                        े
                     पिावर का हृदय भी
                         उत्िव र्िा रिा था,


                           िि हदिाओं र्ें,
                                 ं
                                 ु
                      चगरधारी क यिोगाि
                                          े

                               गा रिा था।
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