Page 14 - karmyogi
P. 14
"अविर तलािती सिक्षा"
े
डगर्गाि लगी सिक्षा व्यवस्था,
े
दख पवद्यालयों की प्रभुता,
चगरधारी का र्ि
िो उिा व्याकल ,
ु
नछपकर बैिी थी किीं जििपर सिर पटक रिी थी
सिक्षा की िर्ता, र्ािवता,
पाषाण िो िुकी थी तयूँ इतिा भेद - भाव?
व्यवस्था तडप उिी थी पवद्या
े
दख पवद्या र्ंहदर का यि
स्वभाव,
ििाँ ििाँ रुक थे ,
े
चगरधारी क कदर् ,
े
े
विां ि अब आि लगी थी
े
िांप्रदानयकता की दुगंध।