Page 15 - karmyogi
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     अब िबकछ बदलिा था,
                                        ु
                          टट वतत को िंभलिा था,
                                े
                             ू
                   स्वीकार ििीं थी                    यि व्यवस्था,
                                 िर्झ गया चगरधारी
                                                          े
                                    इिी पीडा क गभम िे
              िन्र् लगी अब 'िर्ता र्ें सिक्षा '।
                              े
                            ििाति धर्म पवद्यालय
                                  प्रबंधि िसर्नत ि,
                                                                    े
                        िुडी थी चगरधारी की िुर्नत,
                              थी िंघषम की दोपिरी,
                                    अभाव की पीडा ि                     े
                           िूझ रिा था वि पवद्यालय,
                             नतलसर्लाती अथमव्यवस्था
                                        े
                                      क अंगारों र्ें ,
                        भस्र् िो रिा था यि ज्ञािालय,
                             अल्प सिक्षा - िुल्क ि                        े
                    कब सर्टी अथमव्यवस्था की धूल?





