Page 11 - Prayas Magazine
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पूरी हुई जब पढ़ाई




                                                    पूरी हुई जब मेरी पढ़ाई
                                              ररश्तेदारों ने की खूब धुलायी.........



                                                धुलायी में न घूसा र्ा न र्ी लात

                                         बस एक नौकरी र्ी चजसकी र्ी बात................

                                                बात बस इतनी हुआ करती र्ी
                                            लिता र्ा क्यूूँ हुई पढ़ाई पूरी र्ी .............


                                           ररश्तेदारों और पड़ोस में एक ही बवाल र्ा

                                          लड़का पढ़ाई क े  बाद क्यूूँ आजाद र्ा ...........


                                              नौकरी न हुई जान की बाजी हो िई

                                            पल-पल िुजरती आधी हो िई ...............

                                                खुचशयाूँ हो िई र्ी सारी काफ़र
                                                                          ू

                                        बस नौकरी की तलाश करती िई मजबूर.............



                                              लड़की वाले भी जब देखने को आते
                                             नौकरी का ताना दे चनकल जाते .........



                                             सरकारी हो या प्राइवेट सब िल जाती

                                            बस एक बार जैसी........   तैसी चमल जाती -

                                             चफर एक चदन बादलों से िाूँद चनकला

                                            जब इटरनेट पर पररणाम चनकला………
                                                 ं



                                              ं
                                            चजदिी सूखे रेत से मखमली हो िई .......

                                       दोस्त ररश्तेदार और पड़ोचसयों का िहेता सा हो िया

                                     पूरे मोहल्ले में एकलौता नौकरी वाला जो हो िया ...........



                                ररश्तों की लाइन लिी क ु छ ऐसे फ्री राशन की कतार हो जैसे .........
                               मैं सोिूूँ बैठा तड़हा एक चदन चजदिी भी चकतनी मौका परस्त चनकली
                                                           ं
                                            कामयाबी क े  आते ही झट से पलटी .........
                                            कामयाबी क े  आते ही झट से पलटी .........


                                                       प्रदीप क ु मार
                                                       ं
                                                    प्रबधक –राजभाषा
                                                        ं
                                                      पजाब नैशनल



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