Page 9 - Prayas Magazine
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 बैंकों क े   राष्ट्रीयकरण का  कारण

                                                                      ु
                                                                                            ं
                                                                                                 ं
                                                                                                         ं
  हालाूँचक बैंक क े  राष्ट्ट्रीयकरण पर सावषजचनक ऱूप से बहस नहीं हई र्ी, लेचकन प्रधानमत्री इचदरा िाधी ने अचखल
       राष्ट्रीयकरण  का राजनीकर्क और आकितक कारण
                                                ं
              ं
  भारतीय काग्रेस कमेटी की बैठक में अपना मतव्य स्पष्ट कर चदया र्ा और इस चवषय पर एक पत्र प्रस्तुत चकया। क ु छ
                                                            ं
          राष्ट्ट्रीयकरण का एक  कारण यह भी र्ा चक बैंचकि क्षेत्र को स्वतत्रता क े  बाद भारत सरकार द्वारा
                                                                              ं
                                        ं
                                             ं
  चविारचवमशष क े  बाद  -, सरकार ने बैंचकि कपचनयों उपक्रमों क     )ाा अचधग्रहण और हस्तातरणअध्यादेश         (, 1969 जारी
                                                                                           ं
          प्रस्ताचवत लक्ष्य एव योजनाओं क े  तहत अपनाए िए समाजवाद क े  लक्ष्यों क े  सार् समड़वचयत करना
                             ं
  चकया, चजसमें तात्काचलकन बैंकों को राष्ट्ट्रीयक ृ त करने का अचधकार चदया िया । यह आदेश आधी रात से लािू हआ
                                                                                                                    ु
          र्ा। बैंक का इचतहास बताता है चक अचखल भारतीय काग्रेस कमेटी की ररपोटष में बैंकों और बीमा
                                                                     ं
                       ं
  र्ा  । आई बी ए क े   अतिषत जुलाई    91,1969 को 14 सबसे बड़े वाचणचज्यक बैंकों को 85 प्रचतशत बैंक चिपॉचजट क े  सार्
           ं
          कपचनयों का राष्ट्ट्रीयकरण 1948 की शुरुआत में ही प्रारम्भ हो िया र्ा। 1956 में भारतीय जीवन बीमा
  राष्ट्ट्रीयक ृ त  चकया िया । बाद में 1980 में शेष  बिे  छह और बैंकों का राष्ट्ट्रीयकरण चकया िया.
          चनिम क े  िठन क े  सार् बीमा क्षेत्र का राष्ट्ट्रीयकरण चकया िया र्ा, लेचकन बैंकों को 1969 तक प्रतीक्षा
          करनी पड़ी।
       बैंककग की वर्तमान कथिकर्
              ं
    हालाूँचक सरकार बैंचकि प्रणाली क े  माध्यम से अपने चवकास क े  एजेंिा को लािू करने क े  अपने लक्ष्य को पूरा करने
                        ं
  में आचशक ऱूप से सफल रही, लेचकन भारत में अभी भी औपिाररक चविचवहीन सस्र्ाओं की पहूँि में कमी है। कई
                                                                                                    ु
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        ं  बैंकों क े   राष्ट्रीयकरण का  कारण
                                                                          ु
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                                                                                                            ं
          हालाूँचक बैंक क े  राष्ट्ट्रीयकरण पर सावषजचनक ऱूप से बहस नहीं हई र्ी, लेचकन प्रधानमत्री इचदरा िाधी
                                                                                                    ं
                                        ं
  सरकारी बैंकों ने प्रौद्योचिकी में प्रचतद्वचद्वयों को पीछे छोड़ चदया है। उड़हें नए चनजी बैंकों क े  सार् प्रचतस्पधाष करनी है
                                                                   ं
                                 ं
          ने अचखल भारतीय काग्रेस कमेटी की बैठक में अपना मतव्य स्पष्ट कर चदया र्ा और इस चवषय पर
                                                                                                           ं
  जो अत्याधुचनक प्रौद्योचिकी क े  सार् 25 साल बाद आए र्े। यद्यचप उदारीकरण क े  बाद से सरकारी चनयत्रण कम हो
                                                                                                              )
                                                                ं -,  सरकार  ने  बैंचकं ि  कं पचनयों  उपक्रमों  का
          एक  पत्र  प्रस्तुत  चकया।  क ु छ  चविारचवमशष  क े   बाद
                                                                             ं
  िया है, लेचकन ऋणदाता बुरे ऋणों क े  बढ़ने से त्रस्त हैं और पूजी की अत्यत आवश्यकता हैं। सरकार ने सावषजचनक
                     अचधग्रहण और हस्तातरण, 1969 जारी चकया, चजसमें तात्काचलकन बैंकों को राष्ट्ट्रीयक ृ त
                    (
          अध्यादेश
                                          ं
      ं
                                                                     ं
  बैंचकि प्रणाली को मजबूत करने क े  चलए इचक्वटी स्वाचमत्व और पूजी में कमी पर चविार चकया है। हाल ही में एनपीए
                                                                           ु

                                                                                                     ं
          करने का अचधकार चदया िया । यह आदेश आधी रात से लािू हआ र्ा  । आई बी ए क े   अतिषत  91
    ं
  सकट और धोखाधड़ी क े  मामलों ने भारत क े  बैंकों को सुचखषयों में ला चदया है। बड़ा सवाल यह है चक सुधार क े  कई वषों
                                ंबसे बड़े वाचणचज्यक बैंकों को 85 प्रचतशत बैंक चिपॉचजट क े  सार्
  क े  बाद और चववेकपूणष मानदिों को अपनाने क े  बावजूद, इस पैमाने का एनपीए सकट बढ़ा है ।   राष्ट्ट्रीयक ृ त
          जलाई,1969 को 14 स
            ु
                                                                                     ं
          चकया िया । बाद में 1980 में शेष  बिे  छह और बैंकों का राष्ट्ट्रीयकरण चकया िया ।
       बैंककग की वर्तमान कथिकर्
              ं
       राष्ट्ट्रीय करण का सकारात्मक पक्ष
           हालाूँचक सरकार बैंचकं ि प्रणाली क े  माध्यम से अपने चवकास क े  एजेंिा को लािू करने क े  अपने लक्ष्य
                                                                  ंत में अभी भी औपिाररक चविचवहीन संस्र्ाओं
                              ं
  बैंक क े  राष्ट्ट्रीयकरण क े  प्रभाव क े  बारे में तीन प्रमुख क्षेत्रों क े  सदभष में सोिा जा सकता हैजमा  :, उधार और धयाज दर।
           को पूरा करने में आचशक ऱूप से सफल रही, लेचकन भार
  बैंक क े  राष्ट्ट्रीयकरण का एक सकारात्मक प्रभाव यह र्ा चक चविीय बित में तेजी आई क्योंचक ऋणदाताओं ने उन
                                                                         ं
                 ु
           की पहूँि में कमी है। कई सरकारी बैंकों ने प्रौद्योचिकी में प्रचतद्वचद्वयों को पीछे छोड़ चदया है। उड़हें नए
                                       ं
  क्षेत्रों में नई शाखाएूँ खोल दीं जो बैंचकि चवहीन  र्ीं। 1970 क े  दशक में सकल घरे लू बित राष्ट्ट्रीय आय क े  प्रचतशत क े
           चनजी बैंकों क े  सार् प्रचतस्पधाष करनी है  जो अत्याधुचनक प्रौद्योचिकी क े  सार् 25 साल बाद आए र्े।
  ऱूप में लिभि दोिुनी हो िई। इसका एक बड़ा चहस्सा सरकार द्वारा वैधाचनक तरलता अनुपात में वृचर्द् से  र्ा। बैंकों
                                                      ं
           यद्यचप उदारीकरण क े  बाद से सरकारी चनयत्रण कम हो िया है, लेचकन ऋणदाता बुरे ऋणों क े  बढ़ने
                                         ं
  को उन क्षेत्रों की ओर धन लिाने क े  चलए कहा िया र्ा चजड़हें सरकार चवकास क े  चलए लचक्षत करना िाहती र्ी।
                                                                                        ं
                            ं
           से त्रस्त हैं और पूजी की अत्यत आवश्यकता हैं। सरकार ने सावषजचनक बैंचकि प्रणाली को मजबूत
            ं करने क े  चलए इचक्वटी स्वाचमत्व और पंजी में कमी पर चविार चकया है। हाल ही में एनपीए संकट और
    ं
                                                  ू
  इचदरा िाधी ने 29 जुलाई 1969 को लोकसभा को बताया चक राष्ट्ट्रीयकरण का उद्देश्य क ृ चष        ", लघु उद्योिों और चनयाषत
           धोखाधड़ी क े  मामलों ने भारत क े  बैंकों को सुचखषयों में ला चदया है। बड़ा सवाल यह है चक सुधार क े
  में तेजी से वृचर्द् को बढ़ावा देना, नए उद्यचमयों को प्रोत्साचहत करना और सभी चपछड़े क्षेत्रों का चवकास करना है।"
                                                 ं
                                                                                                      ं
           कई वषों क े  बाद और चववेकपूणष मानदिों को अपनाने क े  बावजूद, इस पैमाने का एनपीए सकट बढ़ा
           है ।
       राष्ट्रीयकरण क े  लाभ
                                                                                 %
  बैंकों क े  राष्ट्ट्रीयकरण क े  बाद, सावषजचनक क्षेत्र क े  बैंकों में चिपॉचजट, लिभि  088तक बढ़ िई और अचग्रमों में

       राष्ट्रीय करण का सकारात्मक पक्ष
                                                                                                        :, उधार
                       ुयकरण क े  प्रभाव क े  बारे में तीन प्रमुख क्षेत्रों क े  संदभष में सोिा जा सकता हैजमा
           बैंक क े  राष्ट्ट्री
   %    99की भारी वृचर्द् हई  । सरकारी स्वाचमत्व क े  तहत बैंचकि, सावषजचनक चवश्वास और बैंकों की चस्र्रता क े  बारे में
                                                            ं
           और धयाज दर। बैंक क े  राष्ट्ट्रीयकरण का एक सकारात्मक प्रभाव यह र्ा चक चविीय बित में तेजी
                                                                                                               ं
  अटूट चवश्वास पैदा करती है। बैंक अब क े वल भारत में महानिर  तक सीचमत नहीं र्े। वास्तव में, भारतीय बैंचकि
           आई क्योंचक ऋणदाताओं ने उन
                                          ु क्षेत्रों में न
  प्रणाली देश क े  दूरस्र् कोनों तक भी पहि िई है।  ई शाखाएूँ खोल दीं जो बैंचकं ि चवहीन  र्ीं। 1970 क े  दशक
                                           ं
           में सकल घरेलू बित राष्ट्ट्रीय आय क े  प्रचतशत क े  ऱूप में लिभि दोिुनी हो िई। इसका एक बड़ा
           चहस्सा सरकार द्वारा वैधाचनक तरलता अनुपात में वृचर्द् से  र्ा। बैंकों को उन क्षेत्रों की ओर धन लिाने
  लोकसभा िुनाव में, वतषमान  सरकार ने सालाना 15 करोड़ चकसानों को नकद सहायता प्रदान करने वाली पीएम
           क े  चलए कहा िया र्ा चजड़हें सरकार चवकास क े  चलए लचक्षत करना िाहती र्ी। इचदरा िाधी ने 29
                                                                                              ं
                                                                                                      ं
  चकसान योजना की घोषणा की।इन योजनाओं ने सरकार  को सावषजचनक क्षेत्र क े  बैंकों की बदौलत बड़ी सयाया में
                                                                                                               ं
           जुलाई 1969 को लोकसभा को बताया चक राष्ट्ट्रीयकरण का उद्देश्य क ृ चष     ", लघु उद्योिों और चनयाषत में
                       ं
  चनवाषिकों  तक  पहिने  में  मदद  की  और  इचदरा  िाधी  ने  50  साल  पहले  जो  चनणषय  चलया  र्ा,उसक े   कारण
                                                 ं
                       ु
                                                          ं
           तेजी से वृचर्द् को बढ़ावा देना, नए उद्यचमयों को प्रोत्साचहत करना और सभी चपछड़े क्षेत्रों का चवकास
  बैंक,सरकारकी                   अच्छाइयों               की                मशीन                 बन                 िए।
           करना है।"



                                                                                                  प्रयास

                                                         08
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