Page 12 - Prayas Magazine
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     कोरोना महामारी आपदा – अितव्यवथिा क े  कवकभन्न
                                                   क्षेत्रों पर दुष्ट्रभाव
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          पररचय- मानव-इचतहास क े  पृसॎठों में ऐसी अनेकों घटनाए अचकत हैं चजसने मानव- जाचत को िभीर सकट में िाला
                                                                                                ं
                                                                                                      ं
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          है । इसमें जहाूँ प्लेि, सुनामी और भूकप जैसी प्रक ृ चत जचनत आपदाए हैं वहीं चवश्व-युर्द् जैसी मानव जचनत समस्याए  ं
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                                                                       ं
          भी शाचमल हैं। यचद इन संकटों क े  प्रक ृ चत जचनत या मानवजचनत होने क े  चववाद में न पड़े तो ज्ञात होता है चक
                                                                 ं
          कोरोना महामारी अब तक की सब सेवीभत्स और व्यापक सकटों में से एक है।िीन क े  वूहान शहर से शुऱू हुई इस
          बीमारी ने देखते-देखते 6 महीनों से भी कम समय में पूरे चवश्व को अपने िपेट में ले चलया और िीन, अमेररका, चिटेन
          व भारत जैसी बड़ी अर्षव्यवस्र्ाओं को घुटने टेकने पर मजबूर कर चदया। अब तक लाखों लोि मारे जा िुक े  हैं
          जबचक कई लाख लोि अभी भी आशा की चकरण चलए इलाजरत हैं। यह इस बीमारी की भयावहता का ही प्रमाण है
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          चक सड़क ें  सूनी पड़ ियी , बाजार बद हो ियें, रेल का पचहया रुक िया और आसमान में उड़ने वाले हवाई-जहाज
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          धरातल  पर  धूलिाट  रहे  हैं।  सारी  राजनैचतक,  सास्क ृ चतक  और  सामाचजक  आयोजन  ठपपड़  िए  या  चफर
          अचनचितकाल ले चलए टाल चदए िए। ऐसे चकसी भी क्षेत्र की खोज अत्यत कचठन है जहाूँ इस महासकट का प्रभाव
                                                                                                    ं
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          न पड़ा हो। और सबसे अचधक भयभीत करने वाली बात तो यह है चक इसका अब तक कोई भी ‘महिा या सस्ता’,
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          ‘सुलभ या दुलषभ’, ‘सरल या जचटल’ उपिार नहीं खोजा जा सका है।
          30 जनवरी 2020 को भारत में कोरोना क े  प्रर्म मरीज का पता िला र्ा। तब से अब तक इस बीमारी से लिभि 26
          लाख लोि ग्रचसत हो िुक े  हैं और लिभि 50 हजार लोि मारे िए हैं। इस दौरान चिचकत्सकों, पुचलस कचमषयों, बैंक-
          कचमषयों और प्रशासचनक कमषिाररयों ने सराहनीय ही नहीं अचपतु अतुलनीय कायष चकया है। भारतीय जनता ने भी
          इस सकट काल में असीम धैयष व अनुशासन का पररिय चदया है। अनेक लोिों ने यर्ासभव अर्षदान तर्ा श्रमदान
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          चदए , जिह-जिह राहत-चशचवर िलाये, भिारे आयोचजत चकये िए ,चकराये माफ़ चकये िए, कायष बद होने पर भी
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          कामिरों को िुजरा-भिा चदया िया। देशवाचसयों क े  सहयोि से सरकार ने लॉकिाउन, मुफ्त-राशन-चवतरण, राहत-
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          राचश हस्तानातरण जैसे अनेक कदम उठाये। परड़तु इसी मध्य में चिचकत्सा-कचमषयों पे हमला और उनसे बदसुलूकी,
          मजदूरों  का  पैदल  पलायन,  घरेलू-चहसा  में  बढ़ोतरी,  शराब  क े   चलए  लिी  लम्बी  लाइनें,  कोरोना  का  धाचमषक-
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          राजनैचतकरण जैसी कई अचप्रय घटनाए हुई जो घोर चिता का चवषय है ।
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          इस महामारी से देश भर में हर तरह चक िचतचवचध िाहे वो सामाचजक हो या आचर्षक, सास्क ृ चतक हो या शैक्षचणक,
          नवीन हो या पारम्पररक सभी ठप पड़ ियी। यद्यचप सरकारों और देशवाचसयों का अर्क प्रयत्न जारी है तर्ाचप यह
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          कहना अचतश्योचि न होिी चक कोरोना-महामारी ने भारतीय सामाचजक-आचर्षक सरिना को चहला कर रख चदया
          है और चनकट भचवष्ट्य में इसक े  रुप रेखा में आमूल-िूल पररवतषन की राह प्रशस्त कर चदया है ।
          यहाूँ पर हम अर्षव्यवस्र्ा क े  क ु छ बहुत महत्वपूणष क्षेत्रों में कोरोना महामारी क े  प्रभाव पर एक नज़र िालेंिे ।
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