Page 8 - Prayas Magazine
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07                                      प्रयास


                                             बैंकों का राष्ट्ट्रीयकरण








          बैंक का इचतहास उतना ही पुराना है चजतना मानव सभ्यता का । सभ्यता क े  प्रारम्भ में जब मनुष्ट्य ने
          समूह बनाकर रहना शुऱू चकया तब वह अपनी छोटी – छोटी जऱूरतों क े  चलए एक - दूसरे पर आचश्रत
          र्ा जब तक समूह छोटे रहे तब तक जऱूरतें भी सीचमत र्ी लेचकन जैसे – जैसे समूह बड़े अर्ाषत सभ्यता

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          का चवकास हआ वैसे –वैसे मनुष्ट्य की जऱूरतें भी बढी । मनुष्ट्य की इड़ही जऱूरतों  की पूचतष क े  चलए
          प्रारम्भ में वस्तु चवचनमय प्रणाली  यानी बाटषर चसस्टम  शुऱू हआ और  इसी वस्तु चवचनमय प्रणाली  यानी
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          बाटषर चसस्टम  क े  सार् मुद्रा अचस्तत्व में आई और इस मुद्रा क े  प्रबधन हेतु बैंक शुऱू हए । भारत में
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          आधुचनक बैंचकि की उत्पचि 18 वीं शताधदी क े  अचतम दशक में हई र्ी। पहले बैंकों में बैंक ऑफ
          चहदुस्तान र्ा, चजसे 1770 में स्र्ाचपत चकया िया र्ा और 1829-32 में पररसमापन चकया िया र्ा; और
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          जनरल बैंक ऑफ इचिया, 1786 में स्र्ाचपत लेचकन 1791 में चवफल रहा।
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          सबसे बड़ा बैंक और सबसे पुराना अभी भी अचस्तत्व में है, भारतीय स्टेट बैंक । इसकी उत्पचि जून 1806

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          क े  मध्य में कलकिा बैंक क े  ऱूप में हई और 1809 में इसका नाम बदलकर बैंक ऑफ़ बिाल कर चदया
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          िया। यह राष्ट्ट्रपचत शासन द्वारा स्र्ाचपत तीन बैंकों में से एक र्ा, अड़य दो 1840 में बैंक ऑफ बॉम्बे और
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          1843 में बैंक ऑफ मद्रास र्े। 1921 में तीन बैंकों को चवलय कर इपीररयल बैंक ऑफ इचिया बनाया िया,
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          जो भारत की स्वतत्रता र्ी। , 1955 में भारतीय स्टेट बैंक बन िया। कई सालों तक राष्ट्ट्रपचत पद क े  बैंकों
          ने अधष-क ें द्रीय बैंकों क े  ऱूप में काम चकया, जैसा चक उनक े  उिराचधकारी, भारतीय ररज़वष बैंक की
          स्र्ापना भारतीय ररज़वष बैंक अचधचनयम क े  तहत 1935 में हआ र्ा। 1938-46 क े  दौरान, बैंक शाखा
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          कायाषलय 3,469 से आिे बढ़ िए और जमा राचश 962 करोड़ हो िई। चफर भी, 1947 में भारत क े  चवभाजन
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          ने पजाब और पचिम बिाल की अर्षव्यवस्र्ाओं पर प्रचतक ू ल प्रभाव िाला, जो महीनों तक बैंचकि
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          िचतचवचधयों को पिु बना रही र्ी। भारत की स्वतत्रता ने भारतीय बैंचकि क े  चलए लाईसेज़-शासन क े
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          एक शासन क े  अत को चिचित चकया। भारत सरकार ने राष्ट्ट्र क े  आचर्षक जीवन में सचक्रय भूचमका
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          चनभाने क े  चलए उपाय शुऱू चकए और 1948 में सरकार द्वारा अपनाई िई औद्योचिक नीचत सकल्प ने
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          चमचश्रत अर्षव्यवस्र्ा की पररकल्पना की। इससे बैंचकि और चवि सचहत अर्षव्यवस्र्ा क े  चवचभड़न क्षेत्रों
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          में राज्य की अचधक भािीदारी हई।

          आजादी क े  बाद भी बैंकों ने अच्छा प्रदशषन चकया, बैंचकि सेवाओं की पहूँि क े वल क ु छ मुट्ठी भर  अमीर
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          और शहरी पररवारों क े  चलए उपलधध र्ी। लेचकन सरकार ने महसूस चकया चक बैंचकि सेवाओं  की पहूँि
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          सभी विों  क े  लोिों तक हो। चवकास क े  चलए और सरकारी योजनाओं की पहि बढ़ाने क े  चलए बैंचकि
          की आवश्यकता र्ी । यही कारण र्ा चक सरकार द्वारा बड़े बैंकों क े   राष्ट्ट्रीयकरण करने का फ ै सला
          चलया िया ।
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