Page 25 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
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इनक अलावा बीमा रय क होन का कोई अनय तीसरा कारण नह ह। षणकारी त व और पैरासाइटस को अपन शरीर स े
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नकाल बाहर क जए; शरीर खुद-ब-खुद बेहतर वा य को ा त कर लेगा।
⦁ पॉ यूशन ( णषण)
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पया वरण म नुकसानदह त व क मौजूदगी स होनेवाला अनचाहा बदलाव और उसक चलत शरीर, वा य और वातावरण म
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प रवत न ही षण ह। षण रासाय नक या फर एनज , मसलन व न, रोशनी और गम स संबं धत हो सकता ह। आज
जल और जमीन स जुड़ा षण एक अहम मु ा ह। बढ़ता शहरीकरण, वे ट ड ोजल क उ चत व ा का न होना,
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औ ोगीकरण, परमाण अनुसंधान, भारी उ ोग स नकलन वाल रसायन, कोयल स चलन वाल पॉवर ला टस, धात- नमा ण
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म लग उ ोग, खेती क अनु चत तरीक, घटता जल- तर, तालाब व समु म कचरा फका जाना आ द इसक मुख कारण ह।
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स और ‘पजेशन’ क कामना जो सफ मनु य म होती ह, कदरतन यह भी एक तरह का षण ही ह। दरवाज पर ताला
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होता ह। इसस मन म एक अ धकार क भावना आती ह क यह घर आ य उसक भीतर मौजूद हर सामान मेरा ह। अ धकार
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क यह भावना बढ़ती जाती ह और इसान यादा पैसा, बड़ बजनेस, अ क रयर, ब को अ ा भ व य दन आ द क
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कामना म उलझता चला जाता ह। कहन का मतलब आपक इ ा और बीमा रय स सीधा संबंध ह। इ ाएं जतनी
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यादा व बड़ी ह गी, बीमा रया भी उतनी ही यादा गंभीर ह गी। पशु म ‘पजेशन’ क कामना नह ह। उनम घर-जमीन और
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धन-सं ह क इ ा नह होती। यही वजह ह क पश डाय बट ज, लड ेशर, कसर, आथ राइ टस और ए स डट जैसी लाइफ-
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टाइल स जुड़ी इसानी बीमा रय स पी ड़त नह होत। बहरहाल, हम भी इसान म आ धप य या अ धकार क इ ा को
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वीकार करत ह। हालां क कदरत न हमम इस तरह क भावना क कामना नह क थी, परंत हम इसस भी तो इकार नह कर
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सकत क वाब व वा हश क बना ज दगी बेमतलब ह।
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⦁ परासाइटस
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परासाइटस यानी परजीवी हमार शरीर क भीतर रहत ह हमार शरीर स ही अपन लए पोषक त व क ा त करत ह।
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इसी क चलत हमार शरीर म पोषण क कमी हो जाती ह और हम बीमार रहन लगत ह। इनम स कछ परजीवी परी
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तरह स आहार पर ही नभर रहत ह जो हण करत ह। इस लए हमारा पाचन-त ही उनका नवास होता ह। कई
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परासाइटस शरीर क अलग-अलग अग व ह स स अटच (जड़कर) होकर अपना पोषण ा त करत ह और उ ह
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नकसान पहचात ह। वस, सभी ब ट रया या फगी आपक शरीर को नकसान प चात ह , ऐसा भी नह ह। स ाई तो
यह ह क शरीर म मौजद यादातर ब ट रया नकसान र हत होत ह और इनम स कछ तो काफ लाभकारी भी होत ह।
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मसलन, पट म पाय जान वाल कछ ब ट रया पाचन म सहायक होत ह। इसी तरह कछ यी ट भी शरीर को व
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रखन म मदद करत ह। कछ ब ट रया दवा व खान-पीन क चीज को पचान क काम आत ह। इन दन पाचन म
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सहायक कई तरह क स लीम टस म लाभकारी ब ट रया व फगी का चर मा ा म योग कया जाता ह।
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⦁वाद-अपवाद
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ल जग थरपी म नया भर क उन घरल न ख का उ लख ह जो कारगर ह और रग- बरगी गो लय का दौर आन स े
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पहल खब योग म लाय जात थ। अ य परपरागत उपचार प तय क ब न बत, ल जग थरपी को अमल म ला
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पाना यादा सहज और सरल ह। ल जग थरपी म आसानी स उपल नसा गक पदाथ को योग म लाया जाता ह, ै
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जनका शरीर पर कसी भी तरह का साइड-इफ ट नह होता। य साम या काफ स ती होती ह और उ ह योग म
लान का तरीका भी बहद आसान ह। कछ तरीक को हमन सरल बना दया ह। कछ चीज जो हमार दश म सरलता स े
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उपल नह ह, उ ह हमन उनक भारतीय पयाय स ‘स ट ट’ कर दया ह (प रणाम पर कोई समझौता कए बगर)
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हमारा यास रहा ह क आपको हनमानजी क तरह सजीवनी को ढढ़न क लए पर हमालय क पड़ताल न करनी पड़ े
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और ल जग क लए ज री सामा ी आपको अपन कचन या आस-पास क कराना कान म ही मल जाय।