Page 148 - Gyananda YearBook 2022-23
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                                                                                 मा
                                                                                        ँ







                                                                                        जब हम रो नह  पात  े

                                                                                        चन स सो नह  पात
                                                                                             े
                                                                                         ै
                                                                                        कछ बोल नह  पात  े े
                                                                                         ु
                                                                                        तो मा याद आती ह  ै
                                                                                             ँ
                                                               जब आप सह नह  पात    े
                                                                कसी स कछ कह नह  पात    े
                                                                      े
                                                                        ु
                                                               जब आप रह नह  पात   े
                                                               तो मा याद आती ह  ै
                                                                    ँ
                                                                                        जब आप टट जात ह    ै
                                                                                                        े
                                                                                                  ू
                                                                                        जब आपक आपस  ठ जात ह        ै
                                                                                                                 े
                                                                                                 े
                                                                                                        े
                                                                                        जब लोग आप पर  फट जात ह    ै
                                                                                                                े
                                                                                                          ू
                                                                                             ँ
                                                                जब  चता सताती ह  ै      तो मा याद आती ह  ै

                                                 ु

            जदगी जीना श                                         हमार  मन को खाती ह  ै
                                                                     े
           करो                                                  जब मन नह  लगता
                                                                तो मा याद आती ह
                                                                     ँ
                                                                                ै
                                                                मा याद आती ह
                                                                  ँ
                                                                              ै
                                                                                       अनषा मौया, क ा-8
                                                                                          ु

                     जदगी जीना श  करो,
                                 ु

                    उस समझन क   को शश नह ;
                              े
                       े
                    सदर सपन दखा करो,
                             े
                               े
                     ुं
                    उनम  उलझन क  को शश नह ।

                                े
                    चलत समय क साथ चलो,
                        े
                                े
                    सही राह वही  दखलाए;
                    अपन च  को फला,
                                  ै
                        े
                    वह खलकर अपनी बात बताए।
                         ु
     जदगी जीना श  करो,

                  ु
    खल कर सास भी कभी  लया करो;
               ँ
      ु
    अदर ही अदर घटन  क ,
      ं
                     े
              ं
                  ु
    आदत को पीछ छोड़ चलो।
                 े
    खद स खद को जीना  सखाओ,
      ु
             ु
          े
    नफरत को करो नजरअदाज;
                        ं
    जो  मला उसी का लाभ उठाओ,
    न सलझाओ इ ा का राज़।
        ु
                                   जदगी जीना श  करो;

                                               ु
                                  रा त क   सदरता का,
                                            ुं
                                      े
                                  श  करो उठाना  ल फ़
                                    ु
                                                   ु
                                  महनत करो, आग बढ़ो,
                                   े
                                                 े
                                  म जल न  मलगी म त।
                                   ं
                                                  ु
                                              े
         सोना ी नगी, क ा-8
                   े
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