Page 150 - Gyananda YearBook 2022-23
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                                                   वो भी  या  दन थ
                                                                                               े





                                                         वो भी  या  दन थ  े
                                                         जब बठती  थी  सह लया   ँ       ँ
                                                                          े
                                                              ै
                                                         चार  तरफ गजती थी  कलका रया
                                                                    ूँ
                                                         आगन म खलती  थी आख- मचौ लया       ँ
                                                                              ँ
                                                            ँ

                                                                   े
                                                         जब वो करती थी अठख लया    ँ
                                                                              े
                                                                              जब बठती  थी  सह लया   ँ
                                                                                               े
                                                                                    ै
                                                                              आसमान म भरती थी सपन  क  उड़ा रया     ँ

                                                                                                     े
                                                                              खाती थी  मलकर शौक़ स जल बया      ँ
                                                                                                         े
                                                                              रखकर हथली पर इम लया     ँ
                                                                                        े
                                                                                               ँ
                                                                                                       े
                                                                              गजती थी उनक  हसी स हव लया    ँ
                                                                                ूँ
                                                                                                    े
                                                                          े
                                                         जब बठती  थी  सह लया   ँ
                                                              ै
                                                         खनकती थी सबक हाथ  क  च डया     ँ
                                                                         े
                                                                                    ू
                                                         जब बजती थी घर  म शहनाइया    ँ

          दश भ  दादा                                     गाती थी  मलकर मगलका रया    ँ  ँ
             े
                                                                          ं
                                                         लती  थी सबक उनक  बलाइया
                                                           े
                                                                               जब बठती  थी  सह लया  ँ
                                                                                    ै
                                                                                                े
                                                                               याद आती ह आज वो सह लया     ँ
                                                                                                     े

                                                                                              े
                          ऐसी  कहानी बताती   त ह                                करती  ए अठख लया    ँ
                                             ँ
                                               ु
                                                                               वो गजती हव लया
                                                                                               ँ
                                                                                          े
                                                                                   ूँ
                                            ु
                                 े
                             े
                                          े
                          रोह खड़ हो जाएँग त हार  े                             वो बग़ीच क   तत लया  ँ
                                                                                       े
                          जब मझ पता चला था य सच
                               ु
                                 े
                                               े
                                                                                           ँ
                                                                                    े
                                                                                 े
                          मर दादा क  ख़ फ़या  ज़दगी पर                            खलत  ए आख  मचौ लया      ँ
                            े
                           े
                                       ु

                                                                                             का  पावर , क ा-8
                                                                                                     ँ
        जात थ मर दादा रोज़  कटर पर बाहर
              े
                े
                 े
            े
                             ू
        पता नह  दट मझ  या करत थ वो
                 ै
                                  े
                       े
                                े
                     ु
        पता चला जात थ ख़ फ़या जगह वो
                          ु
                     े
                       े
        काम करक लौट आत थ वो
                             े
                 े
                           े
                          थ वो अपन जमान क
                                          े
                                   े
                           े
                                            े
                          एक बहा र और बड़ जम दार
                                           े
                          मगर असल म थ भारत क  फौज़ क
                                                        े
                                        े

                          ख़ फ़या और जाबाज़ सलाहकार
                            ु
                                        ं
          मन क  ख़बर प चान का उनका काम
                         ँ
                             े
        और  कसी को न पता चला
                   े
                        े
        जब वो पकड़ जात तो
        बदल डालत अपना परा नाम
                           ू
                  े
                         मधावी , क ा-8
                          े
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