Page 149 - Gyananda YearBook 2022-23
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नारी
फल जसीकोमलनारी, काट जसीकठोरनारी।
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ख को रखती र नारी, ख शय को समट नारी।
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दन जसी सहानी नारी, रात जसी अनत नारी।
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नारी व (नारी का अपन क र ा करती नारी, मनो पर ह भारी नारी।
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अमत जसी श नारी, वष जसी घातक ह नारी।
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अ त व) अपन क खशी क लए सपन करती कबान नारी। े ं
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आप भी आए हर उस नारी क सग, जो जीवन म लाए हमार रग।
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जब भी स का बाध टट तो सब पर पड़ जाए भारी।
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सम दर क लहर म फलो जसी कोमल ह नारी, काट जसीकठोरह नारी।
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चाद क चादनी म सोना ी नगी , क ा-8
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रात का उजाला,और
अधर का द या म
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तम पहचान मझ,
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नारी म।
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का हाक यशोदाऔर ीराम क सीता म
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ब ोक ममता म,
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माता- पता का वा भमान म,
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सरजक करणऔर
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हवाक र तार म
भारतमाता क लारी
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सफ़नारी नह भ काली म।
जीवन का सार म,
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इस धरती का ताज म,
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शौय क वीरागना म,
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अत भी म,अनत भी म,
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अत का आरभ म,
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मझ पहचाना नह ?
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जग क जननी,
नारी श म।
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लाव या पवार , क ा-8
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