Page 5 - Ashtavakra Geeta
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               रोना पड़गा| भल ही ख़िी करो पर अन्दर में िमझो कक ये अभी जान वाली चीज़ है, और जान में तमको
                                                          ु
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               ककतना ि ख होगा ये िमझ लना| जब भीछडन िे तम िात रहो, तो तम ख़िी करना| ि ख क े time क े कलए
                                                                                                  ु
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               अगर तम तयार है, तो तम ख़िी करना|  िख ककिम है - जवानी, बिा, पि ककिम िख है तो जो तमको
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               प्राप्त है अभी उिम कगला नहीीं रखो ये वराग्य है| िकनया क े नज़ार बाल क े किवाए कछ नहीीं है, िकनया में
                                                                     ुः
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               बकरारी क े किवाए कछ नहीीं है| आिि मनष्य को पल पल में ि ख िखना पड़गा|
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               आिक्ति का त्याग ही िच्चा त्याग है| ये ही वराग्य है, कमलन कभछिन का ि ख, मरन का डर, कौनिी भी
                                                      े
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               रजाई कमल जाएगी तमको तो भी तम कहलता रहगा; कोई मर िे न बड़ा हो जाय| िपकत्त में आपकत्त है| िख में
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               ि ख िमाया हुआ है, किफ वराग्य ही कनिोष िे भरा हुआ है, बाकी िब में िोष भरा हुआ है|
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