Page 16 - demo
P. 16

16                                                                        CONCEPTUAL PHYSICS—XII

                                                                         ै
                  Fig. 1.12: आयतनी आवेि णवतिि के कािि क्सथि वैद्युत बल     1.   वद्युत बल आकर्षि बल िी हो सकते हैं औि प्रणतकर्षि बल िी

                               q     r −    r                          णकंतु गुरूतवाकर्षि बल केवल आकर्षि बल होते हैं।
                         F  =   0  v ∫    0  3    ρ dv    …(1.10)
                              4πε 0  r − r                          2.  वैद्युत बल िो आवेिों के बीच के माधयम पि णनि्षि किता है
                                     0
                   यहाँ प्रयुति समाकल आयतन समाकल (Volume integral) है।  णकनतु िो द्रवयमानों के बीच गुरूतवाकर्षि बल उनके बीच के
                                                                       माधयम पि णनि्षि नहीं किता।
             सव० मू० प्र० 12:                                       3.  वैद्युत बल गुरूतवाकर्षि बलों की तुलना में बहुत प्रबल होते हैं।
                                        ै
             कूलरॉम के णनयम का उपयोग किके, l िणखक आवेि घनतव के एक      उिाहििाथ्ष यणि हम िो इलेकट्रॉनों के बीच इन िो बलों की तुलना
             अननत लमबाई की, पतले ताि के कािि इसके णनकट क्सथत णकसी णबनिु   किें तो हम पाऐंगे णक वैद्युत बल गुरूतवाकर्षि बल की तुलना में
                                                                               43
             पि िखे इकाई आवेि पि वैद्युतके णलए वयञ्जक वयुतपन्न कीणिए।  लगिग 10  गुना होता है।
                                                   [NCERT]
                                                                 सव० मू० प्र० 14:
              1.2.6  कूलरॉम के तनयम कता महतव                       िो इलेकट्रॉन एक िूसिे से r ििी पि िखे हैं। इनके बीच लगने वाले क्सथि
                                                                                    ू
                  (Importance of Coulomb’s Law)                  णवद्युतीय बल एवं गुरुतवाकर्षि बलों के अनुपात का वयञ्जक वयुतपन्न
                                                                                                              39
            िौणतकी में कूलरॉम का णनयम अतयनत महतवपूि्ष है। यह प्रककृणत के चाि   कीणिए। ििा्षईए णक यह वयञ्जक णवमाहीन है औि यह अनुपात 10
                                                         ु
            मूल बलों – गुरूतवाकर्षि, णवद्युत चुमबकीय, प्रबल नाणिकीय औि िब्षल   की कोणट का होता है।
            नाणिकीय– में से एक  णवद्युत् चुमबकीय बलों की वयाखया का आधाि है।    1.2.8  वैद्य् क्षेत्र की ्संकलपनता
                                                                          यु
               कूलरॉम का वनयम आवेि और उसके मात्रक कूलरॉम (c) को पररभावरत        (Concept of Electric Field)
            करता है। आवेि मूल कणों का वह गुण है वजसके कारण वे कूलरॉम के   आम तौि पि िब हम णकसी णपर पि बल लगाते हैं तो उसे सपि्ष किते हैं।
                                                                                     ं
            वनयम के अनुसार अनयोनय वक्रयाएँ करते हैं और 1C आवेि वह आवेि है
                                                                                      ू
                                                                 णकनतु, िो आवेि एक िूसिे से ििी पि िखे होते हैं। णफि िी वे एक िूसिे
                                               ू
            िो समान परिमाि के सिातीय आवेि से 1m की ििी पि लाए िाने पि   पि बल आिोणपत किते हैं। ऐसा कैसे होता है? इसकी वयाखया के णलए
                     9
            इसे 9 × 10 N बल से प्रणतकाणर्षत किता है।             माइकल फैिारे ने क्षेत्र की संकलपना प्रसतुत की।
               सैद्धांणतक रूप से कूलरॉमी बल िूनय से लेकि अननत िूरियों पि िखे
                                                                    संकलपना यह है णक आकाि में णकसी णबनिु पि िब कोई आवेि िखा
            आवेिों पि लागू होता है, इसणलए एक ओि िहाँ नाणिकों के सथाणयतव,   िाता है तो उसके चािों ओि उसका एक प्रिाव क्षेत्र णनणग्षत हो िाता है णिसे
            िासायणनक अणिणक्रयाओं की समझ औि पिाथ्ष के वयवहाि की वयाखया में
                                                                 णवद्युत क्षेत्र कहते हैं। इस णवद्युतक्षेत्र में िब कोई अनय आवेि लाया िाता है
            इससे सहायता णमलती है वहीं िूसिी ओि तणरत औि ध्व जयोणतयों िैसी
                                                 ु
                                                                 तो इस पि बल आिो णपत होता है। अथा्षत् r ििी पि िखे िो आवेिों q  एवं
                                                                                              ू
                                                                                                             1
            परिघटनाओं को िी इसके �ािा समझा िा सकता है। यहाँ तक णक घर्षि   q के बीच अनयोनय णकया सीधे न होकि िाे चििों में होती है। q  का क्षेत्र
            िैसे बलों की वयाखया में िी इसकी आवशयकता होती है।      2                                       1
                                                                 e  उतपन्न होता है क णकसमें q  को लाने पि उस पि बल F लगता है।
                                                                 1                   2
             सव० मू० प्र० 13:
                                                                   1.2.8.2 वैद्य् क्षेत्र की ऱेिताएँ (Electric Field Lines)
                                                                           यु
             पिमािु नाणिक के अनिि िो प्रकाि के कि होते हैं: प्रोटरॉन िो धन
             आवेणित होते हैं औि नयूट्रॉन िो आवेिहीन होते हैं। णफि प्रोटरॉनों के बीच     णवद्युत क्षेत्र का एक सिल आिेखीय णनरूपि णवद्युत क्षेत्र िेखाओं के �ािा
                                                                 णकया िाता है णिनके माधयम से आवेिों के बीच अनयोय णक्रयाओं के
                                          ू
             लगने वाले कूलरॉमी प्रणतकर्षक बलों के बाविि नाणिक सथाई कैसे बना
             िहता है? कया सिी ततवों के नाणिक सथाई होते हैं?      कई पक्षों की वयाखया की िा सकती है। णवद्युत क्षेत्र िेखा धन आवेि से
                                                                 िुरू होकि ऋि आवेि पि समाप्त होनेवाली एक ऐसी संतत वक्र िेखा है
                     यु
              1.2.7  वैद्य् बल की गुरूतवताक्षिण बल ्से ्ुलनता    णिसके णकसी णबनिु पि खींची गई सपि्ष िेखा उस णबनिु पि णवद्युत क्षेत्र की
                   (Comparision of Electrostatic force with      णििा ििा्षती है।
                  Gravitational Force)                              णचत्र 1.12 में कुछ सिल आवेि णवनयासों की णवद्युत क्षेत्र िेखाएं
            आपने नोट णकया होगा णक आवेि औि द्रवयमान प्रिाथ्ष के आधाििूत गुि हैं   ििा्षई गई हैं। यहाँ: णचत्र (i) धन वबनदु आवेि अर्वा धन आवेवित गोले की
            औि ये णमलते िुलते णनयमों के अनुसाि पिसपि अनयोनय णक्रयाएँ किते हैं:   क्त्र रेखाएं दिा्षता है। ववद्युत क्त्र रेखाएँ वत्रजयत: (Radially) बाहर अनंत
                                                                                     े
                                                                  े
                                   1  qq                         की ओर उनमुख होती ऋजु रेखाएँ हैं। वचत्र (ii) ऋण वबनदु आवेि अर्वा
            आवेि कूलरॉम के णनयम  F =   1  2   के अनुसाि औि द्रवयमान
                                 4πε 0  r 2                      ऋण आवेवित गोले का  वद्युत क्त्र दिा्षता है। क्त्र रेखाएँ अनंत से गोले
                                                                                                 े
                                                                                       े
                                                                                 व
                                      mm
            नयूटन के गुरूतवाकर्षि णनयम  F =  G  1  2   के अनुसाि। णकनतु ये बल   के केनद्र की ओर उनमुख ऋजु रेखाएँ हैं। वचत्र (iii) में एक दूसरे से कुछ
                                       r 2                       दूरी पर रखे दो बराबर वकनतु ववपरीत वबनदु आवेिों की ववद्युत क्त्र रेखाएँ
                                                                                                           े
            प्रककृ णत के िो णिन्न बल है औि इनके बीच कुछ णविर धयान िेने योगय   दिा्षई गई हैं। वचत्र (iv) एक िूसिे से कुछ ििी पि िखे िो बिाबि धन णबनिु
                                                े
                                                                                             ू
            अंति हैं, िैसे:
   11   12   13   14   15   16   17   18