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सैली बलजीत



                                                                सैली बलजीत क7 कहािनय- क कथानक और पा<
                                                                                           े
                                                                         े

                                                                                              े
                                                                                        े
                                                         रोजमरा  9जंदगी क आम लोग होत ह। व अनेक स6मान-
                                                                                           Q
                                                           े
                                                                                े
                                                                 ृ
                                                                             5
                                                         स  अलंकत  ह,  9जनम  क2L"य  #ह2द"  िनदशालय  (मानव
                                                                      Q

                                                                                                े
                                                                                              े

                                                         संसाधन  ?वकास  मं<ालय)  नई  #दUली  क  #ह2द"तर  भाषी
                                                                                                       ृ
                                                                       े
                                                         #ह2द" लेखन क अंतग त ‘मुखौट- वाला आदमी’ कित पर

                                                         राीय पुर
कार *ा। अंतरा ीय #ह2द" स6मेलन मार"शस,

                                                                                        ज
                                                                                         य
                                                                                                             5
                                                                                    ब
                                                                                     ेल
                                                                                       9
                                                         पे8रस,  हांलQड,  
वीटज़रलैड,  बेल9जयम  तथा  जम नी  म
                                                                                           म
                                                         स#)य भागीदार" तथा स6मािनत।
                                                           ृ
                                                         कितयां:  कहानी  संह:  अपनी-अपनी  #दशाएं#दशाएं/गीली  िमžट"
                                                                                            2
                                                                                                         ै
                                                          े
                                                                                          स
                                                         क 9खलौन/तमाशा हुआ था/अब वहां स2नाटा उगता ह/बापू
                                                                                              ा
                                                                  े
                                                                                               ट
                                                                                             न
                                                                                                ा
                                                                       ै
                                                                                               "
                                                                                              र
                                                                                           उ
                                                                                            त
                                                                                         5
                                                         बहुत  उदास  ह/यं<-पुeष/समंदर  म  उतर"  लड़क7/मुखौट-
                                              ड़
                                                                                                े
                                            घ
                                             ो
                               े
                                                                                                             े
                                  े
               वाला आदमी/घरtद स दूर/अंधा घोड़ाा/वह आदमी नह"ं था/यह नाटक नह"ं था/टqपरवास/घोड़ अब हांफ रह
                                                                                            /
                                                                      ं
                                                                                            ह
               ह/तुम यहां खुश हो ना... च2Lमोहनन/पंजाब क7 Xेx लोककथाए/नंगी …ट- वाला मकान/यह मु?^ पथ नह"ं।
                                      च
                                            ो
                                          म
                 ै
                                            ह
                                                                                           य
                                        2
                                         L
                                                         े
                                                              5
                                             ग
                                                                                            ,
                                                                                            5
                                            ा
                                                                                                    े
                                           न

                                                                                                       े
                                                 न
                                                  य
                                                      े
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                                              फ
               उप2यास : मकड़जाल, नाटक: नागफिनय-- क दश म, लघुकथा : खाली हाथ और लपट, आज क दवता
                                                                                  ै
                                                                                5
                                                                             5
                                               5
                                               5
               क?वता संह : ?पता जी जब घर मम होत ह, ग़ज़ल संह: छाँव खतर म ह,
                                                    े
                                                      Q
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                                           अ
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                                    5
                                               े
                                               े
                                                      5
                                             प
                                                                 े
               सं
मरण: मेर आईन म, अपन-अपनन आईन, 
मृितय- क तलघर
                                                                                       5
                                                          े
                                              े
                                          5
               संपा#दत कहानी संह: धूप म नंग  पांव, कहर क #दन, खूबसूरत शहर और चीख
               शीœ *काशय: मQ बहुत उदास रहता  हूं इन #दन- (क?वता संह)

                                                     े
                                                                   े
                                        तुम  उस तलाशन मत आना
                                                                                                 सैली बलजीत
                                               र
                                                                                            प
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                                                                                             र
                                                   5
                                                              े
                                                   5
                       वह  एकाएक  मसखर--सी  हरकतत  ,य-  करन  लगा  था?  इस  आ9खर"  पड़ाव  पर  आकर  सच  ह"
                                                क
                                                                                            े
                                       ै
                                                                                             े
               आदमी मसखरा हो जाता ह? वह कभीी-कभार लोग- क िलए मजाक का पा< ,य- बनन लगा था? #दनभर
                                              क
                                                                                        ब
                                                               े
                                                                                          न
                                                                                           न
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                                            उ
                                              स
               ,या-,या नह"ं करता था वह... उसक77 #दनचया  भी अजीब थी सुबह उठत ह" बस अ›ड क बाहर वाल
                      े
                                                                                                     े
                                                                                                े
                                                                                                े
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                                                                                               न
                                             ह
               चाय क खोख को eख लेता... वहांां चाय पीना तो एक बहाना होता था... दरअसल अपन जैस ख#टयल
                                            ा
                                                                                            क
                                                                       े
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               लोग- स बितयान और समय काटनन का ब#ढ़या अ›डा था उसक िलए.... जमाल िमयां का चाय का खोखा,
                                          क
                                               े
               मई – जुलाई                                                          31                                                                                                                                      लोक ह
ता र
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