Page 34 - lokhastakshar
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‘यह" बात सुनन को तो तरस गया था, ‘#कस ?’ वह बौखला उठा था।
कई #दन- स।’
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‘मेर एक लेखक िम< ह... जानत ह" हो...
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‘जब कहोग आ जाया क_गा।’ 9जनक7 जान #कतनी कहािनयां सुनाई ह तुमे।
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चौपाल म बैठकर।’ ितवार" जी क7 आंख- म
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‘कहां खबर िभजवाऊ... #कतनी बार कहा
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चौपाल म बैठन वाल दूसर श स उतर आए थ।
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ह, एक मोबाइल फोन रख लो.... तु6ह शहर म
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ढूंढना बहुत मु9कल ह।’ ‘वह"ं जो पठानकोट म रहत ह...’ जहूर
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िमयां बोला था।
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‘जमाल िमयां क चाय क खोख पर तो
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खबर िभजवा सकत ह।’ ‘तुम अ,सर याद करत रहत ह.... हर खत
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म ...।’
‘तुम आ जाया करो िमयां.... #दल बहल
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जाता ह।’ ‘व यहां आएंग ? कब आ रह ह ?’
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‘खाना नह"ं 9खलाओग ?’ ‘ज_र आएंग.... और तुमस िमल5ग भी....
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बितयाएंग भी तुमस गल भी िमल5ग.... और
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‘कभी ?बना खाना 9खलाए वापस िभजवाया
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तु6हार #क
स भी सुन5ग।’
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ह तुम।’
‘पर... डर Uगता ह...’ जहूर िमयां को
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‘नह"ं तो... भूख लगी थी, बोल #दया।’
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पहली बार कांपत हुए दखा था।
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जहूर िमयां.... सुना ह... तुम कगाह म
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‘काह का डर ..?’
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जाकर मर गए िम<- को गािलयां िनकालत हो,
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उलाहन करत हो... जान ,या-,या बुरा-भला कहत ‘बयासी साल का बूढा... तब तक 9ज2दा
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हो उ2ह.... ऐसा करन स व लौट आएंग ? रहगा भी ?’
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‘,या क_.... व सभी दगाबाज ह... एक- ‘तुम अभी कहां मरन वाल हो।’
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एक करक चलत बन।’
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‘,य- मजाक करत हो ितवार"
साब...
‘यहां कोई भी नह" #टकन वाला... तुम आपका जहूर िमयां पटा िलखवा क तो आया
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#टकोग ? बोलो ?’ नह"ं? मरना #फर झूठ थोड़ ह...।’ उस पहली बार
उदास दखा था।
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‘ज_र... दखना खुदा को भी टरका
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जाऊगा... अभी मरन वाला नह"ं मQ... दख लेना...।’ एकाएक ईलाट चौराह वाली म9
जद क7
सी#ढ़यां चढ़त हुए जहूर िमयां का िशिथल हुआ
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‘ितवार" जी आशं#कत हुए थ, अभी मरना
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चहरा आंख- म रगन लगा था।
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भी मत... तु6हार" अभी ज_रत ह...।’
मई – जुलाई 34 लोक ह
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