Page 38 - lokhastakshar
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कपड़ा िनकाल कर उसक7 गदन क इद-िगद बांध उसका नाम टोरस था। कqटन टोरस। एक
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#दया। वह लगातार बात करता रहा। शायद वह कUपनाशील {य?^। ऐस {य?^ क अित8र^ भला
सोचता था #क मQ उसक7 ?वचारधारा का प धर हूं। कौन चार नंगी लाश- को लटका कर, उनके िभ2न-
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िभ2न #ह
स- पर अपन लोग- स िनशाना साधन
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“हमार" कल वाली कारवाई स नगरवािसय-
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का अ यास करवा सकता था ? मQन उसक चहर
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न सबक तो ज_र सीख िलया होगा ?”
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पर ुश स झाग क7 पहली परत लगाई। अपनी
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“हां !” उसक7 पसीन स तर गदन पर ब2द पलक- स उसन कहा,
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कपड़ क7 तिनय- को गांठ मारत हुए मQन कहा।
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“मQ अभी सो सकता हूं। पर दोपहर क बाद
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“अSछा नजारा था, न !” अभी बहुत सार काम करन ह।”
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“बहुत अSछा !” कांपत हाथ- स ुश उठात जानकर अनजान बनत हुए मQन पूछा,
हुए मQन कहा
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“गोली चलान वाल द
त का िनर" ण ?”
उसन अपनी आंख ऐस बंद क7, जैस वह
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“हां, हां ! कछ इसी तरह का, और भी
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बहुत थका हुआ हो। और वह साबुन क7 झाग क
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बहुत कछ।” उसन कहा।
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शीतल
पश का इतज़ार कर रहा हो। 9जतना मQ
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उसक अब कर"ब था, उतना कर"ब #फर कभी नह"ं मQ उसक चहर पर ुश फरता रहा पर मेर
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हो सकता था। 9जस #दन उसन सार नगरवािसय- हाथ #फर कांपन लगे। शायद उस इसक7 जानकार"
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को
कल क *ांगण म पहुंचकर ?वLोहका8रय- क7 नह" थी। यह बात मेर िलए अSछl ह" थी।
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लटकती हुई लाश- को दखन का हु,म #दया था,
मQ सोचता था #क #कतना अSछा होता,
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उस #दन िसफ कछ दर क िलए मQन उसका चहरा
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य#द यह यहां न आता। हो सकता ह हमार कछ
दखा था। उन त-?व लाश- का दखकर मQ उस
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लोग- न उस यहां आत दखा हो। #कसी क7 छत क
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आदमी का चहरा दखन क िलए उFसुक था 9जसक
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नीच, #कसी दुमन का अक
मात आ जाना ढर
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आदश पर उ2ह इतनी बब रता स मारा गया था।
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सार" शंकाए, सम
याए और स6भावनाए पैदा कर
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वह" चहरा अब मेर हाथ- म कद था। िन:संदह यह
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सकता ह। मेर िलए तो यह महज एक ाहक ह-
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चहरा #कसी भी िलहाज स ?वLूप अथवा क9Fसत
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#कसी भी अ2य ाहक जैसा। मेर ाहक मुझस
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नह"ं था। बढ़" हुई दाढ़" क कारण वह अपनी उ
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इस बात क7 अपे ा करत ह #क मQ अFयंत
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स कछ बड़ा #दखाई दता था पर कeप ?बलकल
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सतकता और सावधानी स उसक7 Fवचा पर उ
तरा
नह"ं।
मई – जुलाई 38 लोक ह
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