Page 42 - lokhastakshar
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आलख
?वनोद शाह"
ज2म 1-1-1955 चरखी दादर" ह8रयाणा
क?वता संह : नए आदमी का ज2म
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कहानी संह : Xवण कमार क7 खोपड़" ,bलैक आउट नाटक,
झूठ पुराण , एक हFया क7 हFया
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कार सा#हFय कला प8रष¢ व ् सा#हFय िशरोम9ण पंजाब
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3कित म वापसी
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जब रा स- को परा9जत करक दवताओं ने पृgवी पर अपन सााGय
था?पत #कया तो उ2ह-न सार
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रा स पुराण अ9uन क हवाले कर #दए। तथा?प एक पुराण #कसी *कार भ
म होने से बच गया। इसका
नाम ह Ô?वकित पुराणÕ। आज इस पुराण क7 कथा को #फर से सुनने और सुनाने का व^ आ गया ह।
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तो िम<जनो! बड़" क#ठनाई से खोज कर लाए गए ले#कन दवता अपने ?वलास म5 इस कदर लीन थे
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इस Ô?वकित पुराणÕ क अनुसार हुआ यह #क जब #क ¦ा क Vारा कई दफा चतावनी #दए जाने क
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दवताओं ने ¦ा को अपनी क#ठन साधनाओं स बावजूद उ2ह-ने *कित को बचाने क7 #दशा म कोई
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*स2न कर िलया तो ¦ा ने उनसे पूछा #क ,या उम नह"ं #कया। अंततः *कित
वयं ¦ा क7
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चाहते हो ? दवताओं ने कहा, ‘हम अजय होना शरण म5 गई और उसने दव- क
वेSछाचार" हो
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चाहते हÕ। #फर मनचाहा वरदान िमल जाने पर जाने से पृgवी पर आए महान संकट क बार म
उ2ह-ने सबसे पहले *कित क7 र ा क िलए तैनात बताया। जीवन को ह" संकट म5 पड़ा दखकर ¦ा
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रा स- को एक-एक करक अपने रा
ते स हटाना ने *कित को इससे उबारने क िलए एक उपाय
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आरभ कर #दया। धीर-धीर पृgवी स *कित क7 सुझाया। उ2ह-ने *कित को अपने गभ स ?वकित
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र ा करने वाल सभी रा स- का अंत हो गया। नामक पु<ी को *कट करने क िलए कहा। #फर
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*कित अर9 त हो गई। कोई *ितरोध करने वाला पृgवी पर जैसे ह" *कित क गभ से ?वकित *कट
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न बचा, तो दवता
वSछद, िनरकश और ?वलासी हुई तो पूर" दवभूिम म5 हाहाकार मच गया। दवता
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हो गए। वे *कित क साधन- का अमया #दत _प म अचानक अपने ?वलास क7 नींद से जाग उठे।
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उपभोग करने लगे। उनक अFयिधक सु?वधाजीवी पया वरण को दू?षत पाकर इL उसका उपचार करन
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होने क कारण 9
थित यह हो गई #क उ2ह इस क िलए अपने बादल- म5 बा8रश का पानी भरकर
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बात का rयान ह" नह"ं रहा #क *कित क अ य जैसे ह" बाहर िनकल, उ2ह-ने पाया #क उनक
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§ोत भी अब 8र^ होन क कर"ब आ गए थे बादल- म5 भरा जल अमल म5 बदल गया था।
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मई – जुलाई 42 लोक ह
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