Page 39 - lokhastakshar
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                                                                                                    ै
                                                                                   े
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               चलाऊ  ता#क  चहर  पर  हUक7  सी  भी  खर-च  न              “आपक7 आग क7 ,या योजना ह ?”
                   े
               आन पाए और खून क7 एक बूंद तक न बह। शेव
                                                       े
                                                                “अभी  मQ  कछ  नह"ं  जानता।  पर  मौज-म
ती
                                                                            ु
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                                    े
               बनान  क  बाद  जब  चहर  पर  हाथ  फरा  जाए  तो
                                                                   5
                                                                करगे।”
                                                      े
                                                         े
               एक  बाल  क7  चुभन  भी  महसूस  न  हो।  चहर  क7
               Fवचा एकदम कोमल और िनखर" हुई हो।                         वह  #फर  पीछ  झुका  और  उसन  अपनी
                                                                                    े
                                                                                                      े
                                                                                     े
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                                                                आंख ब2द कर लीं। मेर हाथ म उ
तरा था।
                       हां ! मQ गु _प स ?वLोह" था पर2तु एक
                                        े
                                                       े
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               अFयंत  कत {यिनx  नाई  भी  था  9जस  अपन  हुनर            मQन उसस पूछा,
                                                                                े
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               पर  गव   था।  मQन  चहर  पर  झाग  पर  कलम  क
                                                                “,या आपक7 सभी को सज़ा दन क7 योजना ह?”
                                                                                                         ै
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               नीच  उ
तरा  रखा  और  अपन  िसOह
त  हाथ-  स
                                           े
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               उ
तर को नीच क7 ओर बढ़ान लगा। बाल Gयादा                   “सबको।” उसन कहा।
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                                                                                    े
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               स त नह"ं थ ले#कन स त थ। आ#ह
ता-आ#ह
ता
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                                                                                           े
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               साफ 9जUद #दखाई दन लगी। उ
तर पर झाग म                    साबुन क7 झाग उसक चहर पर सूख रह"
                                                                                                     े
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               कट हुए बाल शािमल हो गए थ।  मQ उ
तर पर            थी। मुझ जUद" करनी पड़"। शीशे म मQन गली का
                                                                                       े
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               लगी झाग को #डbबी म डालन क िलए कछ दर              }ƒय दखा, सब कछ पहल क7 तरह था। पंसार" क7
                                                                                                   े
                                                                                          े
                                     े
               eका। एक बार #फर मQन परासी पर रखकर उ
तर           दुकान पर दो-तीन ाहक थ। तब मQन द"वार पर
                                                            े
                                                                 ं
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               क7  धार  को  तेज  #कया।  मQ  जाना-माना  नाई      टगी  घड़"  क7  ओर  दखा,  दोपहर  क  दो  बज  कर
                                                                                            े
                                                                                े
                                                            े
               इसिलए हूं ,य-#क मQ अपना काम बहुत मु
तैद" स       बीस िमनट हुए थ। उ
तरा नीच क7 तरफ बढ़ रहा
                                            5
                                                            े
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               करता  हूं।  उसन  अपनी  आंख  खोलीं,  कपड़  स       था। स त दाढ़" पर #फरता उ
तरा जानी-पहचानी
                                                                                                             े
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               अपना हाथ बाहर िनकाला और चहर क उस भाग             सरसराहट  क7  आवाज  पैदा  कर  रहा  था।  उस
                                                            े
                         े
               पर  हाथ  फरा  जो  अब  साफ  हो  चुका  था।  उसन    क?वय-  और  पाद8रय-  क7  तरह  अपनी  दाढ़"  बढ़ा
               कहा,                                             लेनी चा#हए थी। ऐसी  दाढ़" उस पर  खूब  फबती।
                                                                                                            े
                                                                बहुत सार लोग उस पहचान ह" न पाते। जो उसक
                                                                        े
                                                                                 े
                            े
               “आज छ: बज 
कल म आना।”
                               ू
                                    5
                                                                                                          े
                                                                                                             े

                                                                                     े
                                                                िलए बेहतर होता। मQन उसक7 गदन को कपड़ स
                                                                                                  े
                                                                             े
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               “,या कल जैसा ह" }ƒय दखन को िमलेगा?” मQन          अSछl तरह स ढक रखा था। गदन क पीछ उसक
                                                                  े
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                                                                                   े
                                                                                      े
                                                                                                े
               भयभीत होकर कहा।                                  बढ़ हुए बाल घुंघराल थ। उ
तर स छोटा सा पोर
                                                                                      5
                                                                भी खुल  जाता तो उसम स खून का मोती टपक
                                                                                         े
                     े
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               “उसस  बेहतर  भी  हो  सकता  ह।”  उसन  जवाब
                                                                              े
                                                                                  े
                                                                                                    े
                                                                सकता था। मेर जैस िनपुण नाई अपन #कसी भी
               #दया।
                                                                                                   5
                                                                ाहक  को  ऐसी  असुरवद  9
थित  म  नह"ं  डाल
               मई – जुलाई                             39                                                                   लोक ह
ता र
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