Page 36 - lokhastakshar
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बार उस कगाह म ह" दखन जाना था.... वह अब ह.... जहूर िमयां को ितवार" जी क लेखक िम< का
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वापस थोड़ आएगा... वहां स कभी कोई वापस #दल रखना था.... उनक7 *ती ा #कए ?बना मरना
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आया ह ? वह कह"ं दूसर" जगह जा भी नह"ं नह"ं चा#हए था.... अब पठानकोट वाल लेखक िम<
सकता था। को सलीक स समझना होगा #क झांसी शहर क7
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गिलय- म स एक मसखरा अलोप हो गया ह....
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पठानकोट वाल लेखक िम< का प< अब
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अब व उसस कभी िमल नह"ं पाएंग... उसक गल
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और भी महFवपूण हो गया ह.... ,य-#क प< म
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नह"ं लग पाएंग.... उस झांसी क7 गिलय- म
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भी यह" आशंका थी... जहूर िमयां क मरन का डर
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आवारागद करत हुए दखन क7 अपनी अSछा का
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था.... उसस कभी भी भ5ट न कर पान का दश
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वयं वध कर दना होगा.... उसक7 मौत क7 खबर
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था.... उ क आ9खर" पड़ाव पर चल रह श स क
झूठl हो ह" नह"ं सकती।
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*ित ऐसी आशंकाओं का पनपना झूठ थोड़ होता
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सपक: 1288, लन-4, राम शरणम कालोनी, डलहोज़ी रोड़, पठानकोट-145001
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फोन: 0186-2229440, मोबाइल: 6280683663 bZesy % sailibaljit@gmail.com
मई – जुलाई 36 लोक ह
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