Page 47 - lokhastakshar
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                                                                                                 े
               कोई  अथ   नह"ं  रखती,  उससे  *कित  का            ?वरोध,  तालमेल,  सामंज
य  ह
त प,  पर
परता
                                                      ृ
                                           ै
                                                                                 े
                                                                                                             े
                                                                                                           े
                                                                                      े
               उपभो^ाकरण  सामने  आता  ह।  अब  *कित  को          समांतरता  आ#द  स  जुड़  {यवहार  भी  #दखाई  दत
                                   े
                                                                 Q
                                                े
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                        े
               मनु;य  क  उपभोग  क  पदाथo  क  हतु  क  _प  म      ह।
                                                            5
                                             े
                                 ै
               दखा जाने लगता ह। इस तरह *कित अपने तौर            वेद-  क7  ऋचाओं  म5  हम  यह  दखते  ह  #क  हर
                 े
                                               ृ
                                                                                                     Q
                                                                                               े
               पर  #कसी  आंत8रक  मानवीय  सार  तFव  से  यु^      अलग  दवता  क  िलए  अलग  सू^  ह।  हर  दवता
                                                                        े
                                                                                                  ै
                                                                              े
                                                                                                          े
               पदाथ  नह"ं रह पाती।
                                                                                                           ं
                                                                                             ै
                                                                अपने  सू^  म5  सव„प8र  होता  ह।  सूय ,  वायु  ,  इL,
               प9zमी दश न- से काफ7 हद तक अलहदा }?yकोण           वeण, आ#दFय, मeत आ#द सभी दवता अपने सू^
                                                                                               े
                                                                                     Q
               रखने  वाले  पूव   क  और  खास  तौर  पर  भारत  क   म5  शीष   पर  रहते  ह  और  शेष  दवता  उनक
                                                            े
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                                                                                                            े
                                                                                                   े
                                                        े
                                                                                                     ु
               दश न, *कित को मूलतः मानवीय चतना  स यु^           सहयोिगय- क7 तरह ?वचरण करते ह। कछ दवता
                                                े
                                                                                                          े
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                                                                                                 Q
                                                                       े
                                                                                               Q
                                                                                           े
               मानते    ह।  यहां  बाहर"  *कित  और  भीतर  क7     जोड़- क _प म5 भी #दखाई दते ह, जैसे िम< और
                         Q
                                          ृ
               *कित  म5  बहुत  अंतर  #दखाई  नह"ं  दता।  वह  जो   वeण  ह।  यह  जो  {यव
था  #दखाई  दती  ह,  उसम
                                                                                                       ै
                                                                       ै
                                                                                                             5
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                                                    े
                                                        ै
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                                ृ
                                                            े
               बाहर ¦ांड म5 *कित क7 तरह #दखाई दता ह, उस        सभी  दवता  अपने  अपन  तौर  पर  अंतः
वायd
                                                                       े
                                   ृ
                    े
               ह"  दह  म5  मौजूद  *कित  क  एक  अ2य  मानवीय   {यव
था वाले होकर भी, अ2य के  साथ एक *कार
                                         े
                                         ै
                               े
                                                                                                       Q
               *ा_प क7 तरह दखा जाता ह।                          का  आपसी  तालमेल  वाला  8रƒता  बनाते  ह।  जब
                                                                            े
                                                                                                             े
                                                                                                       ं
                                                ै
                                                          ृ
               यह जो अलग तरह का }?yकोण ह, उससे *कित             मनु;य  उन  क  *ित  
तुितयां  और  *ाथ नाए  करत
                                                                 Q
                                                                                                ै
               को पूGय मानने वाली }?y ?वकिसत हुई।  ¦ांड        ह,  तो  इस  का  अथ   यह  होता  ह  #क  वे  सभी
                                                                                              े
                                                                                                  Q
                                                                 े
               को *कित क ?व?वध _प- क आपसी तालमेल स              दवताओं को  बराबर का महFव दते ह।
                           े
                                                            े
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                      ृ
                                                                        े
                                                    े
               काम  करने  वाली  {यव
था  क7  तरह  दखा  गया।      प9zम क ?वचारक- को इन 
तुितय- क संबंध म
                                                                                                    े
                                                                                                             5
               *कित क सभी _प इसी कारण दवFव से यु^ होते          ऐसा *तीत होता ह जैस #क भारत क अ?वकिसत
                                                                                      े
                                                                                 ै
                                             े
                  ृ
                       े
                                                                                                  े
                                                                             े
                                                                                                       े
               चले गए। पृgवी, जल, वायु, अ9uन आकाश, आ#दFय,       और  ?पछड़"  चतना  वाले  आ#दम  समाज  क  लोग
               चंL आ#द बाहर" *कित क ?व?वध _प  ह" दवता           *कित से भयभीत ह।  इसिलये वे 
तुितय- क _प
                                                         े
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                                                                                                         े
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               नह"ं हुए, अ?पतु आंत8रक *कित क ?व?वध आयाम         म5 कोई जादू टोना या उसी तरह का कोई उªोधन
                                                                    े
                                     ं
                                                                                                           े
                                                                       े
                     े
               और   <  होने  वाले  अहकार  
मृित,  बु?O,  सं
कार,   करक दवताओं को जगाने का अंध?वZास पूण  खल
                                                                                      ै
                                                                                                     े
                                                                       Q
                                                                             5
                                                                  े
               भाव,  ?वचार,  *Yा,  िनLा  जड़ता,  मृFयु  तथा  चैत2य   खलते ह। उ2ह लगता ह #क 
तुितय- क माrयम
               आ#द  ?व?वध  तFव  भी  दवFव  से  यु^  मान  िलए     से  दवता  को  *कट  करना  और  उसे  भोuय  पदाथ
                                      े
                                                                    े
                                                                           े
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                                                                                         े
               गए। भारतीय दश न- म5  बाहर" और भीतर" *कित         *दान करन क िलए कहना, कवल एक मनोवैYािनक
                                                                          े
                                                            े
               क  तFव  अलग  अलग  दवी  दवताओं  या  उनक           धोखा ह। यह कवल एक तरह से शू2य को या #कसी
                 े
                                                                       ै
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               अिधxान-  क _प म5 इसिलए दखे गए, ,य-#क य           जड़  पदाथ   को  जीवन  *दान  करक,  उसे  गलती  स
                                                                                                             े
                                                                                          े
                                                                                              ै
               सभी अपने अपने तौर पर एक आंत8रक 
वचािलत           मनु;य या ईZर मानने का खल ह।
               {यव
था  वाले  पदाथo  या  संरचनाओं    क7  तरह     कछ  मनो?व™ेषक  ऐसा  भी  कहते  ह  #क  बाहर"
                                                                                                  Q
                                                                 ु
               #दखाई दते रह ह। वे एक दूसर से 
पyतः िभ2न         *कित क तFव- या श?^य-  को दवता मानने क
                       े
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                    ं
               ह, परतु इन सभी का एक दूसर क साथ सहयोग,           पीछ  मूल  कारण  यह  ह  #क  मनु;य  अपने
                                                                                         ै
                                                                   े
               मई – जुलाई                             47                                                                   लोक ह
ता र
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