Page 46 - lokhastakshar
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वहां यह ?वचार सामने आता ह #क आंत8रक लाती ह। मा,स वाद" आलोचक औोिगक पूंजीवाद
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*कित और बाहर" *कित क बीच एक दूसर को म5 मनु;य क Xम क 9जस अजनबीकरण को दखत
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*भा?वत करने और _पांत8रत करने क7 मता ह, उसका संबंध मनु;य क7 इसी रचनाशीलता क
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होती ह। इस तरह आंत8रक *कित और बाहर" मनु;य से अजनबी होन क साथ ह। Xिमक अपन
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*कित क बीच क पूरक 8रतो क7 जगह अब Xम से जो उFपादन करता ह उसे कवल एक
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VVाFमक 8रते हमार सामने आ जाते ह। इसका ?बकाऊ माल समझ िलया जाता ह और उसे
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अथ यह होता ह #क बाहर" *कित आंत8रक मुनाफ क िलए बेच #दया जाता ह। इस तरह
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*कित को *भा?वत और िनिम त करती ह तथा Xिमक का अपने उFपाद पर कोई िनयं<ण नह"ं
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आंत8रक *कित अपनी मानवीय और सािम9जक रहता। नतीजतन उFपाद- क संग Xिमक क7
ज़_रत- क7 पूित क िलए बाहर" *कित म5 रचनाशीलता भी ?बकती हुई #दखाई दती ह। इस
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गुणाFमक प8रवत न पैदा कर, उसे अपन अनुकल रचनाशीलता का लाभ उ2ह िमलता ह 9जनका Xम
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बनाती ह। क संसाधन- क ऊपर िनयं<ण होता ह। इस तरह
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{यापक ?वचार और दश न क
तर पर यह बात Xम एक तरह क रचनाFमक आनंद म5 बदलने क7
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आंत8रक और बाहर" *कित क बीच क पर
पर बजाय, एक अजनबी व
तु म5 बदल जाता ह। इससे
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?वरोधी होने क7 बात को ह" आधार बनाती ह मनु;य अपनी आंत8रक *कित से भी एक अथ म
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परतु #फर उस नए _प म5 सम92वत करने क7 और अजनबी होता ह।
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भी ले जाती ह। प9zम क दश न- म5 इस तरह बाहर" *कित क
औोिगक )ांित क साथ मनु;य क पास ऐसी अिधकािधक व
तुिनx होते जाने और आंत8रक
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नई उFपादन पOितयां आ जाती ह #क व बाहर" *कित क अजनबी होत जाने क _प म जो
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*कित को िनयं?<त और _पांत8रत करने क िलए मानवीय संकट #दखाई दते ह, वे मनु;य और
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अभूतपूव _प म5 स म #दखाई दने लगती ह। *कित क बीच एक खास तरह क Vत भाव क7
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इससे बाहर" *कित का पूरा ढांचा व
तुिनx और मौजूदगी क7 ओर इशारा करते ह। VVाFमक दश न-
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भौितक #क
म क ऐस ढांचे म5 बदल जाता ह 9जस म5 भी यह Vत मौजूद रहता ह, परतु वह
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मनु;य उपयोगी संसाधन क7 तरह पुनeFपा#दत ?वरोधमूलक होने क साथ साथ पर
पर पूरक एवं
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करता ह, परतु इससे *कित क संसाधन भर बन एक दूसर का _पांतर करने क7 सामgय वाला भी
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जाने क हालात पैदा हो जाते ह और *कित क7 होता ह।
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मानवीय अंतव
तु खं#डत होने लगती ह। #फर बाजार पर मनु;य का िनयं<ण न होने क
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*कित क7 इस मानवीय अंतव
तु को प9zमी कारण *कित और मनु;य क संबंध- का अगला
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दश न- ने बहुत कम पहचाना ह। चरण सामने आता ह। बाज़ार क तं< क Vारा
मुनाफ क _प म5 जो पूंजी मनु;य से और उसक
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मा,स वाद" आलोचना मनु;य और *कित क बीच
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Xम से अलहदा हो जाती ह और *कित क उFपाद-
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बनने वाले Xममूलक संबंध- क Vारा इन दोन- क7
को खर"दने क7 सामgय भर होने क अलावा और
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रचनाFमक अंतर
संभावनाओं क उ©ाटन को सामन
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मई – जुलाई 46 लोक ह
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