Page 45 - lokhastakshar
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               #दखाई दती ह। उसक पीछ वहां क  िमथक-  म5           लगता  ह।  इस  तरह  बात  *कित  पर  मनु;य  क7
                         ृ
                               े
               मौजूद  *कित  क  अितशय  भयकार"  िच<ण  एक          ?वजय तक पहुंच जाती ह।
                                                                                      ै
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                                   Q
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               बड़" भूिमका िनभाते ह। ईZर मनु;य- को दड दन          ीको  रोमन  काल  से  ह"  मनु;य  क7  आंत8रक
                                                            े
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                 े
               क िलए *कित क7 श?^य- का, यानी बाढ़, बा8रश ,        *कित को मनु;य क िलए उपयोगी व
तु बनाने क
                                                                   ृ
                                                                                  े
                                                                                                            े
               ?बजली, आग,  अकाल , Gवालामुखी, #हमपात आ#द         *यास  आरभ  हो  जात  ह।  उस  कला  व
तुओं  क
                                                                                                            े
                                                                          ं
                                                                                    े
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                                                                                            े
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                                               ै
               का  इ
तेमाल करता #दखाई दता ह।                    उFपादन  क  िलये  रचनाशील  होने  वाली  आंत8रक
                                                                          े
               बाद म5 जो ीको रोमन दश न सामने आते ह, वहां       सामgय  क _प म दखा जाने लगता ह। इस तरह
                                                        Q
                                                                                5
                                                                                   े
                                                                         े
                                                                                                   ै
               *कित  को  ईZर  क  आदश   या  मूल  ?वचार  क7       प9zम  म  रचनाशीलता  *कित  क  संसाधन-  क
                                                                                                            े
                                                                                                े
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                                                                         5
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                                                                                        े
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                         े
               अनुकित क _प म5 दखा जाता ह। हालां#क सुकरात        उFपाद-  और  पुनeFपाद-  क  साथ  गहराई  म5  जुड़"
                    ृ
                                            े
                                                                        ै
               और  qलेटो  क7  ऐसी  धारणा  क  बरअ,स  अर
तु       रहती  ह।  जहां  तक  सा#हFय  और  कला  क7
                                                                                               ै
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               थोड़ा अलग तरह का }?yकोण *
तुत करते ह। व           रचनाशीलता  का  संबंध  होता  ह,  वहां  भी  इस
                                                      ृ
                                 े
                            ृ
               बाहर  क7  *कित  क  साथ  मनु;य  क7  *कित  क7      मनु;य-उपयोगी  होने  वाले  प   को  ?वचारणीय
                                   े
               पूरक  भूिमका  को  दखते  ह।  अर
तु  और  qलेटो     माना  जाता  ह।  बाद  म  सा#हFय  और  कला  क7
                                                                                      5
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                                         Q
               मनु;य क7 *कित को बाहर" *कित का अनुकरण            रचनाशीलता  का  संबंध  मनु;य  क7  सtदय मूलक
                             ृ
                                             ृ
                                                  Q
               करने  वाली  व
तु  क7  तरह  दखते  ह।  इस  तरह     अिभeिचओं और ज_रत- क7 पूित  से भी जुड़ जाता
                                           े
                                                 ृ
                   े
                                                                                           5
               उनक  मुता?बक  मनु;य  क7  *कित  म5  जो            ह।  परतु  वहां  भी  यह  बात  कL  म5  बनी  रहती  ह
                                                                                                             ै
                                                                      ं
                                                                 ै
                                                                                          ृ
                                   े
               रचनाशीलता #दखाई दती ह, वह दरअसल बाहर क7          #क  मनु;य  क7  आंत8रक  *कित  का  संबंध  मूलतः
                                       ै
               *कित का उFपादनमूलक अनुकरण करने क7 वजह            बाहर  क7  *कित  क  सtदय मूलक  पुनeFपाद-  क
                                                                                  े
                                                                             ृ
                                                                                                            े
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               से  मनु;य-  म5  दखी  जाती  ह।  परतु  अर
तु  इस   साथ ह" होता ह।
                                                                              ै
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                               े
               ?वचार से सहमत नह"ं होत। वे मनु;य क7 *कित         इस  तरह  हम  दख  सकत  ह  #क    मनु;य  क7
                                        े
                                                          ृ
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                                                                                े
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               को अित8र^ महFव दते ह और यह मानते ह #क            उFपादनशीलता  9जतनी  बढ़ती  जाती  ह,  उसक7
                                                                                                      ै
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                                                            े
               मनु;य बाहर" *कित का अनुकरण ह" नह"ं करत,          रचनाशीलता  क7  सामgय   भी    उसी  अनुपात  म
                                                                                                             5
               अ?पतु  अपनी  आंत8रक  *कित  क7  ज़_रत-  क          ?वकिसत होती जाती ह। उFपादन पOितय- म आए
                                          ृ
                                                            े
                                                                                                        5
                                                                                    ै
               मुता?बक बाहर" *कित म5 मौजूद किमय- क7 पूित        प8रवत न, बाहर" *कित क संसाधन- क पुनeFपाद-
                                 ृ
                                                                                 ृ
                                                                                                  े
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                         Q
               भी करते ह।
                                                                                                            े
                                                                                ं
                                                                             े
                                                                को ह" एक नय ऊचे ?वकास-
तर पर नह"ं पहुंचात,
                                                                                                            े
                        े
                                       5
                                                      ृ
                                                                                        ृ
               अर
तु  क  बाद  प9zम  म  मनु;य  क7  *कित  का      मनु;य  क7  आंत8रक    *कित  क7  रचनाशीलता  क
                                                                                                   Q
                                                                                                       ं
                                                                       5
               बाहर  क7  *कित  क  साथ  8रƒता  बदल  जाता  ह।     संबंध म भी गुणाFमक प8रवत न लाते ह। VVाFमक
                                                           ै
                                 े
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                                                                      े
                                      ृ
                                                                                                         ृ
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                                                                                         ृ
               मनु;य को बाहर क7 *कित क पूरक क7 तरह ह"           }?y  स  मनु;य  क7  अंतः*कित  क  जो  सां
कितक
                                                                                              े
               नह"ं  अ?पतु  उसको  िनयं<ण  करने  और  उसका        उFपाद होते ह, उ2ह भी उFपादन पOितय- से जुड़
                                                                                 5
                                                                                                             े
                                                                             Q
                                                      े
                                                                                 े
                             5
                                                                                            े
                                                                                                       े
               अपने  प   म  तथा  अपनी  सु?वधाओं  क  िलए         भौितक उFपादन क ऊपर" ढांच क7 तरह दखा जा
                                                                        ै
                                                                                                            े
               इ
तेमाल करने क7 सामgय  से यु^ भी माना जान        सकता  ह।  यह  ?वचार  एगेUज़  और  मा,स   क
                                                                                        ं
                                                            े
                                                                भौितकवाद" VVाFमक दश न-  से और पुy होता ह।
                                                                                                            ै
                                                                            ं
               मई – जुलाई                             45                                                                   लोक ह
ता र
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