Page 49 - lokhastakshar
P. 49

ृ
                                                                                                     े
                        े
                                                                 े
                                                       े
                                                                                    े
               *कित  क  मानवीय  सारतFव  को  समझन  और            क  बाहर"  _प-  म5  दवFव  को  मौजूद  दखते  हुए
                                                                                                   े
                                                           ै
                                                                                       ृ
               उससे अपना 8रƒता बनाने क7 ज़_रत से उपजी ह।         मनु;य  क7  आंत8रक  *कित  को  उसक  मुता?बक
                                                                     ृ
               इसिलए भारत म यह ?वचार सामने आया #क जो            प8र;कत करने का *यास #कया। नतीजतन प9zम
                               5
                                                                              े
                                                                         ृ
                                                                                                 े
                                              ृ
                          े
                                                            ै
                 ु
               कछ  भी  पूर  ¦ांड  म5  बाहर"  *कित  क7  तरह  ह,   बाहर"  *कित  क  _पांतर  और  उसक  िलए  ज़_र"
                                                                         ृ
                                                                                               े
                                                            े
                                    े
                            े
               वह" मनु;य क šदय क भीतर मानवीय सार  क             बाहर"  *कित  पर  ?वजय  पाने  क  िलए  अिधक
                                                                                 े
                                                                                      ै
                                   ै
               _प म5 मौजूद रहता ह।                              *यासरत  #दखाई  दता  ह।  जब#क  तुलनाFमक  _प
                                                                म5 भारत और अ2य पूव| दश- म5 आंत8रक *कित
                                                                                                          ृ
                                                                                         े
                         ृ
               तथा?प *कित को पूGय मानने से यह «म पैदा हो
                                                                                                    े
                                                                को  बदलने  और  वहां  मौजूद  मनु;य  क  सार  को
                       ै
                                ृ
               सकता  ह  #क  *कित  का  मनु;य  क  Vारा  _पांतर
                                                े
                                                                            े
                                                                उ©ा#टत  करक  अपने  भीतर  क7  मूल  *कित  तक
                                                                                                      ृ
                                   े
                              ृ
               संभव  नह"ं।  *कित  क  अनुसार  जीवन  जीते  हुए
                                                                                                      े
                                                                                                          ै
                                                                पहुंचने का *यास अिधक नुमाया #दखाई दता ह।
               मनु;य अपने आंत8रक 
वभाव या अपनी आंत8रक
                                                                                                  5
                                                                                                           े
                  ृ
                                                            े
               *कित को जान और समझ सकता ह, ऐसा सोचत              यहां एक और बात जो िन;कष  _प म #दखाई दती
                                                 ै
                                                                                    ृ
                                                                                                     े
                                                                                                            े
                                                                 ै
                                                                            ै
               हुए  मनु;य  समाज  *कित  को  अपना  आदश   बना      ह वह यह ह #क *कित और मनु;य क बीच क
                                    ृ
                                                                                 े
                                                  े
               लेता  ह  और  *कित  का  _पांतर  करन  का  *यास     8रƒते म5 मनु;य दह सवा िधक महFवपूण  कड़" क7
                      ै
                               ृ
                                                                      े
                                                                                                      ै
                                              े
               नह"ं  करता।  भारत  म5  *कित  क  संबंध  म5  जो    तरह रखां#कत होने वाली व
तु बन जाती ह।
                                         ृ
                                                                                  े
                                                                                                             े
                                                                                                    े
                                       े
                                                   े
               ?वचार उFप2न हुए उ2ह-न *कित को दवी बनाकर          य#द  हम  प9zम  क  ?वचार  िचंतन  क  _प-  स
                                           ृ
                                                            े
                                                                                                             Q
                                                                                                       े
                                                                                     े
                                                      ृ
               अपने  िलए  आदश   बना  िलया  और  *कित  क          िनकलने वाले डा?व न क ?वकास )म को दखते ह
                                                                                 5
                                                                                        ै
                                                          ृ
               _पांतर  क7  बजाए  भारतीय  मेधा  आंत8रक  *कित     तो वहां जो चीज़ कL म5 ह, वह  सभी *ा9णय- क7
               क  _पांतर  क7  #फ)  करने  क7  ओर  अिधक  चली      दह  ह"  ह,  9जस  क7  आ9खर"  कड़"  मनु;य  क7  दह
                                                                 े
                                                                        ै
                 े
                                                                                                            े
                                                 ृ
                                                                                         े
                                    ै
               गये। इसका अथ  यह ह #क बाहर" *कित म5 भारत         ह।  और  य#द  हम  भारत क  योग,  तं<  और  अ2य
                                                                 ै
               को आदश  अव9
थत  मालूम हुआ, जब#क आंत8रक           दश न- क सार को समझना चाहते ह तो वहां भी
                                                                        े
                                                                                                 Q
                                                                                  े
                                                                 े
                  ृ
                                                                                                          े
                                                                                                             े
               *कित  म5  स यता  क7  दखल  को  उसने  ?वकितय-      दह क भीतर ह" पूर ¦ांड को सार _प म5 दखन
                                                                     े
                                                        ृ
                                                                                                             े
                                                                                े
                                                                            ृ
               क7 तरह मौजूद होते हुए पाया। इसिलए मनु;य को       और मूल *कित क वहां रह
य क7 तरह िछपे होन
                                                                                      ै
               *कित
थ  करने  क  िलए  यह  ज_र"  समझा  गया        क7 बात सामने आती ह। इन दोन- ?वचारधाराओं
                                े
                  ृ
                                                    ृ
                                         ृ
               #क मनु;य क7 आंत8रक *कित क7 ?वकितय- का   म5 अंतर भी है। प9zम के  िचंतन म5 बाहर" *कृ ित
                                                       ृ
                                                                                                     े
               शोधन #कया जाए और इस *कार मूल *कित म              म5  होने  वाले  _पांतर,  मनु;य  तक  क  दहगत
                                                                                                         े
                                                            5
                                                                                        े
               वापसी  क7  जाए।  इसिलये  सFय  क7  खोज  करन       ?वकास)म क िलए 9ज6मवार ह। वहां यह ?वचार
                                                                            े
                                                            े
                                                                                             ै
                              े
                                                                                         ृ
               वाले  लोग  हमार  यहां  घरबार  छोड़  कर  बनवासी    सामने आता ह #क य#द *कित को अपने अनुकल
                                                                             ै
                                                                                                           ू
                                                                                                 े
                                              Q
                                            े
               होने को अपना आदश  मानते रह ह।                    कर  िलया  जाए  तो  मनु;य  क7  दह  म5  मौजूद
                                                                                                            ै
                       े
                  ृ
                                               े
                                      े
               *कित क साथ मनु;य क 8रƒतो क उपयु ^ दोन-           संभावनाएं  ?वकिसत  और  *कट  होने  लगती  ह।
                                                                             े
                                                                                                             ै
               _प- पर गहराई से ?वचार करते हुए हम यह दख          भारत म5 इसक उलट यह ?वचार सामने आता ह
                                                          े
                                                                                                            े
                                                                                        े
                                                                                                   े
                      Q
               सकते ह #क प9zम ने मनु;य क7 आंत8रक  मता           #क य#द हम मनु;य क7 दह और उसक भीतर क
                                                                                                             Q
                                                                                       े
               पर  अिधक  भरोसा  #कया,  जब#क  भारत  ने  *कित     िचd को ठlक से समझत और ?व™े?षत करते ह
                                                          ृ
               मई – जुलाई                             49                                                                   लोक ह
ता र
   44   45   46   47   48   49   50   51   52   53   54