Page 53 - lokhastakshar
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कसरा राम
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पंजाबी कथाकार
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कल पांच कहानी संह
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पंजाबी-राज
थानी स पर
पर अनुवाद क7 अनेक पु
तक *कािशत
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ह8रयाणा पंजाबी सा#हFय अकादमी Vारा पुर
कत
कथा संह ’जनानी पौद’ क िलए ’ढाहां पुर
कार-2020 म
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स6पक – म.नं 420, से,टर 16, #हसार-125005 (ह8रयाणा) मो
09416235210
ईमेल - kesraram@gmail.com
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पुिलिसया ,यूं मारता ह?
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#दलीप क7 #दली वा#हश ह #क उसक संदभ म5 दश क7 सरहद पर अव9
थत इस छोट से गांव म,
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मशहूर हो जाए #क एक तो वह अिधक सोचता अपनी निनहाल म5 रहते हुए जब वह #कसी मुयार
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नह"ं ह और दूजे वह #कसी िसपाह"-?वपाह" से नह"ं को यह गाते हुए सुनता ह,
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डरता। वह हर हाल इन दो आरोप- से मु^ होना ‘कोठl चंड"गढ म डलवा द र, उड़ती ह गाँव म
धूल...Õ तो चंड"गढ़ उसक7 आँख- म5 सपना बन
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चाहता ह। पर जब उसक यार-दो
त कहते ह, ‘‘अर
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उभर आता ह।
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भावुक दहाती, ,या सोचा करते हो #दन भर?’’
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और एक #दन यह जुनूनी सपना यथाथ का _प ल
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तो वह चीख उठता ह, ‘‘कौन साळा कहता ह? लेता ह। नौकर" लगने क बाद जब उसे चड"गढ़
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कौन #कसी तरह से डरा सकता ह मुझ?’’ उन म5 िनयु?^ िमलती ह। चाह कोठl न सह", ले#कन
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जैसी भाषा बोलने क7 कोिशश करता ह। #फर चड"गढ़ म5 िनवास तो नसीब हुआ।
सोचना शु_ कर दता ह। बात का खुलासा करन
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यूं चाह उस जैसे िभ2न-िभ2न *कित वाले इ2सान-
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और ऊचा बोलने से बात का वजन कम हो जाता
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ट को जोड़ कर बना ह चंड"गढ शहर, पर
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ह। बावजूद इसक वह ऐसा करता ह। बार बार।
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खुद को अब, बहुत जUद इसम अन#फट-सा
जानबूझ कर।
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महसूस करने लगा ह। ,य- वह इस शहर क रग
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उसे ऐसी ह" बात5 {यिथत #कए रहती ह, पर सबसे म5 नह"ं रग पाया? सोचते हुए #फर वह यथाथ म
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अिधक परशान करता ह उस पर लगा Ôबीबा बटाÕ लौट आता ह,
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होने का ठqपा। यह ?वशेषण उसक7 दह पर गोदन
‘‘लो भई, अब होली भी गुजर गई...ÕÕ
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क7 तरह गुद गया लगता ह।
#फर सोचन लगता ह, ‘‘अब जUद" ह" कोई Fयोहार
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नह"ं आने वाला... गणगोर? वह तो उधर अपन
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मई – जुलाई 53 लोक ह
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