Page 55 - lokhastakshar
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पेशी भुगतने आया था। उससे कोट म5 िमलन व सूख रह" फसल- और qयास से दम तोड़त
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लोग भी गए थ। मवेिशय- क िलए पानी मांगने पर उसक और
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#दलीप से बोला, ‘‘,या सोच रह हो बागड़" भाई? आसपास क गांव- क #कसान- पर हुई डड- क7
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तु6हार" काटो(िगलहर") तो अब फल- पर खल रह" वषा ... समाचार प< म5 कसी हुई मु#टठय- से नारा
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ह?’’ बुलंद करन वाल हाथ- क7 *कािशत त
वीर, बचाव
क7 मुLा म5 एक दूसर पर िगरत-पड़ते अ2नदाता
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#दलीप झप गया था। इतना िचंतन-शील नजर
क7 भयभीत आंख... #कसी क7 पगड़" पांव- तल
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आता ह ,या वह?
कचली जा रह" ह तो #कसी क7 कमर म5 बंधा
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झप छपाते हुए वह बोला था, ‘‘काह क फल भाÕजी चादरा खुल कर...!
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और कसी काटो? हर व^ सीने पर छटनी क7
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तब उसने फौरन अखबार छपा िलया था,
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तलवार लटकती रहती ह।ÕÕ अनायास ह" उसक मुंह
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कह"ं बSच न दख ल5। ऐस-ऐसे }य- से उFप2न
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से सच िनकल गया था। हालां#क वह Ôहो रह" ह
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ÔसहमÕ शी म9
त;क से िनकल नह"ं पाता। बSच-
बसरÕ कह कर भी काम चला सकता था।
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क िलए तो यूं भी हर मूछ- और पगड़" वाला बुजुग
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चाय पीने क िलए कट"न क7 ओर जाते हुए दादा जी ह" ह। टली?वजन पर ऐसा कोई पा<
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सुख?वंदर फट पड़ा था, ‘‘हमारा तो पूरा गांव ह" #दखाई द जाता ह तो ये खुशी स चीख उठते ह,
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उजड़ने वाला ह भाई... सरकार न जमीन एकवायर ‘वो रह दादा जी!Õ ...और याद आ जाते ह छ9टय-
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कर ली... ये बहुराीय कपिनयां हम5 खा जाएगी... क दौरान खत म खाए मूली, ग-गलू, ककड़",
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गांव क गांव िनगल जाएंगी... कज म5 तो पहले ह" मतीर...! ह भगवान! हमार" जमीन5 िछन
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डबे हुए ह।ÕÕ जाएंगी? घर भी? सोच कर मुझ ठडा पसीना
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और बQच पर बैठते ह" उसने #दलीप से कछ अSछा आने लगता ह।
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सुनने क िलए उसक चहर पर अपनी नजर गाड़ और बSच? बSच- ने उस #दन ट"वी पर ह"
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द" थीं। तो दख थ, एक पाक म मजदूर- को घेर कर
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गुर?वंदर से उसे पहले ह" Yात हो चुका था पर पुिलस Vारा बेरहमी से पीट जाने क }य... बSचे
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अब उसे कछ भी नह"ं सूझ रहा था #क कह तो कई #दन तक सहमे रह थ।
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,या कह। समाजवाद, माकसवाद क बार म5 बड़- इससे पहले #क भाÕजी दोबारा पूछ #क
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बड़ {या यान दने का च-चला गो?xय- और ,या सोच रह हो, #दलीप ने अपना rयान कट"न
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सैिमनार- म5 ह" संभव था शायद। सोचा उसने। म5 एफ.एम. पर बज रह गीत क7 ओर मोड़ा-
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उस समय पुिलस Vारा मजदूर- को घेर कर
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मारने का }य उसक7 }?y क सामने घूम गया। ‘नौकर को न bयाह दना बाबुल, हलवाह
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#फर अपने गांव क #कसान- पर बरस रह" ला#ठय- बहुतेर... नौकर लोग तो घर नह"ं रहत, िनFय
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क7 कUपना करक वह कांप गया। *दस म5 डर, मQ तुझे वज रह"...!Õ
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मई – जुलाई 55 लोक ह
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