Page 58 - lokhastakshar
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होमगाड वाले भी बंदूक िलए घूमते ह... शु) अदा बSच भी #कतने *ै9,टकल हो गए ह,
करते ह-गे िमिलटसी का, उनका भी ठाठ बना सोचते हुए उसने अपने मन को टटोला।
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#दया ह, डडा छड़वा कर हिथयार थमा #दया ह! होली क अवसर पर टली?वजन पर भी खूब
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व^ क साथ सब कछ कसे कदमताल रग बरस रहा था। #फUम- और ट".वी. सी8रयल
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िमला कर चलता ह। बSच होली भी खलगे तो कलाकार खूब नाच गा रह थ, हुड़दग मचा रह थ।
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हिथयार- क साथ... ए.क.-47 क7 ?पचकार"... रात को समाचार क बाद ट".वी. ने कहा, ‘होली
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तरह-तरह क7 ?पचका8रय- पर नजर गई... बSच- आई ह, माला ड" क7 गोली यह रग लाई ह...Õ
क7 ओर भी rयान गया और बीवी क7 थमाई ‘‘पापा, माला ड" ,या होता ह?’’ संजू न
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सामान क7 िल
ट को भी टटोला। अजीब टढा सवाल खड़ा कर #दया।
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जब को टटोलत हुए सोचा, बSच तो एक ‘‘बुOू कह"ं का, माला ड" नह"ं जानता...?’’
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दूसर पर पानी डालकर भी *स2न हो ल5गे पर... बेबी ने सब क7 अ,ल को जैसे छlंक म5 टांग #दया
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बीते साह ह" तो खांसी जुकाम... अर नह"ं, नह"ं हो। मनक- क7 माला?
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पूर बजट क7 पहले ह" चूल5 #हली हुई ह। अगर
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और ?बना *Fयुdर क ह" यह *s न जाने
#फर से बीमार पड़ गए तो?
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कहां आलोप हो गया। बSच अिधक गहराई म5 नह"ं
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उ2ह सब समझा दूंगा... आजकल उतर और खा-पीकर जUद" सो गए।
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िमलावट" रग बहुत आन लगे ह। तरह-तरह क
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*ातः काल क *सारण म माला ड" वाली
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किमकल स बन, Fवचा खराब हो जाती ह 9जनसे।
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बात को आगे बढ़ाया गया। कहानी कछ इस *कार
अगर बात बहुत Gयादा बढ़ गई तो इ2फ,शन
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ह #क हर वष संतान पैदा करने क च,कर म5 बहू
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का भय #दखाऊगा।
वयं सोचते रह जाएगे #क
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हर बार होली से वंिचत रह जाती ह। अंत म5
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इ2फ,शन ,या होता ह?
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उसक7 ननद उसको Ôमाला ड"Õ का पैकट दती ह।
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‘‘पर दो छ9टयां ह पापा, घर बैठे बैठे बोर 9जसक7 बदौलत वह इस वष होली खलन का?बल
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हो जाएंग?’’ हो पाई ह।
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जानता ह वह, यह *X उठ खड़ा होगा। ,या हम समझ चुक ह #क बढती हुई
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इसिलए वह पहले से ह" तैयार था, ‘‘अपन #दन आबाद" एक भयानक सम
या का _प धारण कर
भर ट".वी. दखगे। शाम को पाक म घूमने जाएग चुक7 ह? अपने बSच- और अपने सहकिम य- क
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और आई
)7म भी...ÕÕ प8रवार- को rयान म रख कर #दलीप सोचन
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‘‘आप ह" तो कहा करते हो, अिधक ट".वी. लगा... महगाई क चलते जीना दुभर होता जा रहा
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नह"ं दखना चा#हए?’’ ह... महगाई भdा कोई राहत नह"ं दता। उUटा
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उिचत था यह *X पर बSच- ने पूछा नह"ं। मकान मािलक को दरवाजे पर ला खड़ा करता ह,
शायद इसिलए #क कह"ं घूमने और आई
)7म ‘सरकार ने अपने कम चा8रय- को ड".ए. क7 एक
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खाने का अवसर न हाथ स िनकल जाए। और #क
त द" ह, भई अब तो #कराया बढाओ।
मई – जुलाई 58 लोक ह
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